गाँधी, जो एक आम व्यक्ति की ही तरह पैदा हुए और महात्मा बनकर हमारे बीच से गए। अपने जीवनकाल में उन्होंने अपने व्यक्तित्व का इस कदर विकास किया, अपने विचारों का प्रभाव इस कदर छोड़ा कि उन्हें विश्वव्यापी महापुरुष माना गया। आख़िर क्या था उस शख़्सियत में ऐसा?
गाँधी-150: स्वराज का मंत्र देने वाले ऋषि महात्मा गाँधी
- विचार
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- 2 Oct, 2019

अपने जीवनकाल में गाँधी जी ने अपने व्यक्तित्व का इस कदर विकास किया, अपने विचारों का प्रभाव इस कदर छोड़ा कि उन्हें विश्वव्यापी महापुरुष माना गया।
गाँधी प्राचीन भारतीय ऋषि परम्परा के अभी तक के संभवतः अंतिम अवतार थे। ऋषि अर्थात मंत्रदृष्टा, जो अपने आसपास के समाज की स्थिति की कमियों का सम्यक आकलन कर विधायी और व्यावहारिक सुधार सुझाता हो। गाँधी ने भी अपनी जन्मस्थली गुजरात, अपनी व्यावसायिक भूमि ब्रिटेन तथा अपनी प्रयोगशाला दक्षिण अफ़्रीका के तत्कालीन समाज की समस्याओं का ठीक-ठीक आकलन कर अपनी मातृभूमि को ग़ुलामी की तत्कालीन समस्या से निजात पाने का सर्वाधिक कारगर उपाय भी बताया, ख़ुद भी उस उपाय पर चले और इन दोनों के कारण उत्पन्न नैतिक बल के चलते अन्य समानधर्मी महापुरुषों से अधिक लोकप्रिय भी हुए और अधिक सफल भी।