निवेशक बैंक गोल्डमैन सैक्स ने एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत के 2075 तक जापान, जर्मनी और संयुक्त राज्य अमेरिका को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का अनुमान है। भारत वर्तमान में दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। यानी आज से पचास साल बाद भारत की अर्थव्यवस्था चीन को छोड़कर बाक़ी सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को पीछे छोड़ चुकी होगी।
गोल्डमैन सैक्स ने कहा है, 'चूँकि भारत की 1.4 बिलियन लोगों की आबादी दुनिया की सबसे बड़ी हो जाएगी, इसलिए इसके जीडीपी का नाटकीय रूप से विस्तार करने का अनुमान है। गोल्डमैन सैक्स रिसर्च प्रोजेक्ट्स का आकलन है कि भारत की अर्थव्यवस्था 2075 तक दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगी।'
As India’s population of 1.4 billion people becomes the world’s largest, its GDP is forecast to expand dramatically. Goldman Sachs Research projects India will have the world’s second-largest economy by 2075. https://t.co/CFFM0JsmEL pic.twitter.com/xHruyuSFex
— Goldman Sachs (@GoldmanSachs) July 6, 2023
तो सवाल है कि इन बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की स्थिति कैसी होगी? क्या तब तक कुछ बड़ा उलटफेर हो चुका होगा? इस सवाल के जवाब में गोल्डमैन सैक्स का अनुमान चौंकाने वाला दिखता है। चौंकाने वाली बात यह है कि 2075 में नाइजीरिया की दुनिया की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगी और पाकिस्तान की छठी। हालाँकि तब अमेरिका दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था होगी और जर्मनी, ब्रिटेन, जापान और फ्रांस जैसे देश खिसककर नौवें स्थान से भी नीचे चले जाएँगे।
गोल्डमैन सैक्स की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं को लेकर लगाये गए इस पूर्वानुमान का आधार है- अनुकूल जनसांख्यिकी, नवाचार व प्रौद्योगिकी, उच्च पूंजी निवेश और बढ़ती श्रमिक उत्पादकता। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले दो दशकों में भारत का निर्भरता अनुपात क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाओं में सबसे कम हो सकता है। गोल्डमैन सैक्स रिसर्च के भारत के अर्थशास्त्री शांतनु सेनगुप्ता के अनुसार, नवाचार, बढ़ती श्रमिक उत्पादकता और पूंजी निवेश भी आगे चलकर विकास का एक महत्वपूर्ण फ़ैक्टर बनने जा रहा है।
उन्होंने कहा, 'हाँ, देश के पक्ष में जनसांख्यिकी है, लेकिन वह सकल घरेलू उत्पाद का एकमात्र चालक नहीं होगा। दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के लिए नवाचार और बढ़ती श्रमिक उत्पादकता महत्वपूर्ण होने जा रही है। तकनीकी शब्दों में इसका मतलब है भारत की अर्थव्यवस्था में श्रम और पूंजी की प्रत्येक इकाई के लिए अधिक उत्पादन।'
उन्होंने कहा, 'गिरती निर्भरता अनुपात, बढ़ती आय और गहन वित्तीय क्षेत्र के विकास के साथ भारत की बचत दर बढ़ने की संभावना है, जिससे आगे के निवेश को चलाने के लिए पूंजी का पूल उपलब्ध होने की संभावना है।'
रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने बुनियादी ढाँचे के निर्माण को प्राथमिकता दी है, खासकर सड़कों और रेलवे की स्थापना में। गोल्डमैन सैक्स का मानना है कि निजी क्षेत्र के लिए विनिर्माण और सेवाओं में क्षमता बढ़ाने का यह उपयुक्त समय है ताकि अधिक नौकरियाँ पैदा की जा सकें और बड़ी श्रम शक्ति को समाहित किया जा सके।
रिपोर्ट के अनुसार, 'सरकार ने हाल के दिनों में भारी उठा-पटक की है। लेकिन भारत में निजी कॉरपोरेट्स और बैंकों की स्वस्थ बैलेंस शीट को देखते हुए हमारा मानना है कि निजी क्षेत्र के पूंजीगत व्यय चक्र के लिए परिस्थितियाँ अनुकूल हैं।'
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में जनसांख्यिकीय परिवर्तन शेष एशिया की तुलना में अधिक धीरे-धीरे और लंबी अवधि में हो रहा है। इसमें कहा गया है कि इसका मुख्य कारण शेष एशिया की तुलना में भारत में मृत्यु और जन्म दर में अधिक क्रमिक गिरावट है। रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि अगर श्रम बल में भागीदारी नहीं बढ़ी तो भारत बड़ा अवसर खो सकता है।
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