दिसंबर 2022 को समाप्त तिमाही में भारत की जीडीपी ग्रोथ दर घटकर 4.4 प्रतिशत हो गई। यह पिछली तिमाही की 6.3 प्रतिशत की जीडीपी ग्रोथ दर से काफी कम है। सांख्यिकी
और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी वित्त वर्ष 2023 की तीसरी तिमाही के जीडीपी आंकड़े,
अर्थशास्त्रियों द्वारा साझा किए गए अनुमानों से थोड़ा कम हैं। एमओएसपीआई की
विज्ञप्ति में कहा गया है कि 2022-23 की तीसरी तिमाही में वास्तविक जीडीपी 40.19 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जबकि 2021-22 की तीसरी तिमाही में यह 38.51 लाख करोड़ रुपये
थी।
2022-23 की तीसरी तिमाही में वास्तविक जीडीपी 40.19 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जबकि 2021-22 की तीसरी तिमाही में यह 38.51 लाख करोड़ रुपये थी।
अर्थशास्त्रियों के एक
सर्वेक्षण में सख्त मौद्रिक नीति और ऊंची ब्याज दरों के मद्देनजर तीसरी तिमाही में
अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 4.6 प्रतिशत रहने का
अनुमान जताया गया है। हालांकि, सरकार द्वारा
जारी आंकड़ों से संकेत मिलता है कि आर्थिक विकास उम्मीद से धीमा रहा है। वैश्विक आर्थिक स्थिति तनावपूर्ण है जो आगे
चलकर विकास की गति पर चिंताएं बढ़ा सकता है।
अर्थशास्त्रियों के एक सर्वेक्षण में सख्त मौद्रिक नीति और ऊंची ब्याज दरों के मद्देनजर तीसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 4.6 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है।
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तीसरी तिमाही में कमजोर
जीडीपी ग्रोथ मार्च 2023 को समाप्त हो रहे
पूरे वित्तिय वर्ष के लिए केंद्र सरकार के जीडीपी ग्रोथ के अनुमानों को भी
प्रभावित कर सकती है। सरकार ने वित्त वर्ष 2023 में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर सात प्रतिशत रहने का अनुमान
जताया है, जबकि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने इसके 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है।
हालांकि तीसरी तिमाही में
ग्रोथ आमतौर पर कम रहती है, लेकिन मई 2022
से लगातार आरबीआई द्वारा दरों में बढ़ोत्तरी के
बाद उच्च ब्याज दरों की लंबी अवधि के कारण विकास में उम्मीद से बड़ी गिरावट आ सकती
है।
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चालू वित्त वर्ष की चौथी
तिमाही में ग्रोथ में और कमी हो सकती है, क्योंकि रिजर्व बैंक ने फरवरी की मौद्रिक
नीति समीक्षा में प्रमुख ब्याज दरों में बढ़ोतरी की थी। केंद्रीय बैंक ने इस साल
प्रमुख ब्याज दरों में .25 आधार अंकों की
वृद्धि की है, जिससे मांग
धीरे-धीरे कमजोर हो रही है।
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