खाने-पीने की चीजें काफ़ी महँगी हो गई हैं। 71 महीने में सबसे ज़्यादा। महँगाई को नियंत्रण में रखने का दंभ भरने वाली बीजेपी सरकार के लिए यह बड़ी चुनौती है। जब सामान इतने महँगे हो जाएँ कि लोगों की जेबें खाली होने लगे तो सरकारों के सामने चिंताएँ मँडराने लगती हैं। फ़िलहाल जिस तरह के आर्थिक हालात हैं उसमें महँगाई का बढ़ना मोदी सरकार के लिए एक तरह से संकट से कम नहीं है।
खाने-पीने की चीजें 71 महीने में सबसे महँगी
- अर्थतंत्र
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- 17 Dec, 2019
ऐसे समय जब सरकार बार-बार कह रही है कि अर्थव्यवस्था में कुछ भी गड़बड़ नही है, खाद्य वस्तुओं की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हुई है। इससे जुड़ा थोक मूल्य सूचकांक नवंबर में 11.1 प्रतिशत बढ़ गया। यह पिछले 71 महीने के उच्चतम स्तर पर है।

खाने-पीने की चीजें महँगी होने की यह रिपोर्ट ख़ुद सरकार ने ही जारी की है। यह रिपोर्ट है महँगाई को मापने वाले थोक मूल्य सूचकांक की। खाने-पीने की चीजों में यह सूचकांक नवंबर में 11.1 प्रतिशत बढ़ गया है। यह पिछले 71 महीने के उच्चतम स्तर पर है। इसका साफ़ मतलब यह है कि थोक भाव में बिकने वाली खाने-पीने की चीजों की क़ीमतों में भी बेतहाशा वृद्धि हुई है। यह पिछले महीने से काफ़ी ज़्यादा है। अक्टूबर में यह सूचकांक 9.8 प्रतिशत पर था। पिछले हफ़्ते ही ख़ुदरा में भी खाने-पीने की चीजों की महँगी होने की रिपोर्ट आई थी जो 10.01 फ़ीसदी बढ़ गई है।