हालाँकि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार बढ़ा चढ़ा कर आर्थिक विकास के दावे कर रही है, ग़ैर सरकारी आँकड़े इसकी पुष्टि नहीं करते। बेरोज़गारी के रेकॉर्ड आँकड़ों के बाद अब यह जानकारी सामने आ रही है कि तेल-साबुन और खाने-पीने की चीजों जैसे उपभोक्ता वस्तुओं की बिक्री में गिरावट आई है। उपभोक्ता वस्तुओं में गिरावट लोगोें की क्रयशक्ति में गिरावट दिखाती है और इसे अर्थव्यवस्था के धीमी होने या विकास की रफ़्तार के कम होने का संकेत माना जाता है। ऐसे में सरकार के विकास के दावे खोखले साबित होने लगते हैं।
उपभोक्ता वस्तुओं की बिक्री गिरी, विकास का दावा खोखला?
- अर्थतंत्र
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- 25 Mar, 2019
ऐसे समय जब नरेंद्र मोदी सरकार विकास के दावे बढ़ चढ़ कर रही है, विकास की रफ़्तार थमने के संकेत मिल रहे हैं। उपभेक्ता वस्तुओं की बिक्री कम होना एक और संकेत भर है।
