हालाँकि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार बढ़ा चढ़ा कर आर्थिक विकास के दावे कर रही है, ग़ैर सरकारी आँकड़े इसकी पुष्टि नहीं करते। बेरोज़गारी के रेकॉर्ड आँकड़ों के बाद अब यह जानकारी सामने आ रही है कि तेल-साबुन और खाने-पीने की चीजों जैसे उपभोक्ता वस्तुओं की बिक्री में गिरावट आई है। उपभोक्ता वस्तुओं में गिरावट लोगोें की क्रयशक्ति में गिरावट दिखाती है और इसे अर्थव्यवस्था के धीमी होने या विकास की रफ़्तार के कम होने का संकेत माना जाता है। ऐसे में सरकार के विकास के दावे खोखले साबित होने लगते हैं।