क्या अनिल अंबानी को फिर से एक झटका लगने वाला है? विदेशों में अघोषित संपत्ति रखने, स्विस बैंकों में बिना कर दिए पैसे जमा रखने जैसे मामलों में उनपर कार्रवाई हो सकती है। ऐसा इसलिए कि रिलायंस एडीए समूह के अध्यक्ष अनिल अंबानी विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम यानी फेमा के कथित उल्लंघन से जुड़ी जाँच के सिलसिले में सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी के सामने पेश हुए। अंबानी से सात घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की गई। तो सवाल है कि ईडी की यह पूछताछ किस मामले में की गई है?
इस सवाल का जवाब आधिकारिक तौर पर नहीं आया है। ईडी अधिकारियों ने इस मामले का कुछ भी ब्योरा नहीं दिया है। लेकिन मीडिया रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि अंबानी की कथित फेमा उल्लंघन के संबंध में जाँच की जा रही है। यह मामला उससे जुड़ा है जो आयकर विभाग की 800 करोड़ रुपये की कथित अघोषित विदेशी संपत्ति की जाँच के दौरान सामने आए थे।
पिछले साल मार्च में अपने अंतिम मूल्यांकन आदेश में आईटी विभाग की जाँच शाखा ने कहा था कि उसने काला धन (अघोषित विदेशी आय और संपत्ति) कर अधिनियम, 2015 के तहत अंबानी द्वारा देश के बाहर अघोषित संपत्ति और निवेश का पता लगाया था। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार यह आदेश देश के बाहर कथित अघोषित संपत्तियों पर अनिल अंबानी को नोटिस जारी करने के बाद आया। ऐसा 2019 में पहली बार हुआ था।
आईटी विभाग ने देश के बाहर संस्थाओं और लिंक किए गए बैंक खातों में 800 करोड़ रुपये से अधिक के लेनदेन की जानकारी दी है। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि इस आँकड़े की गणना मौजूदा रुपया-डॉलर विनिमय दर के आधार पर की गई है।
मीडिया समूहों की साझेदारी में इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इंवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स द्वारा एक से अधिक ऑफशोर जांच में अंबानी का नाम पाया गया था।
2015 में, 'स्विस लीक्स' जांच से पता चला था कि वह उन 1,100 भारतीयों में से थे जिनका एचएसबीसी की जिनेवा शाखा में खाता था। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2006-07 के लिए एचएसबीसी खाते में उनका शेष 26.6 मिलियन डॉलर था।
इस साल मार्च में बॉम्बे हाई कोर्ट ने आईटी विभाग को निर्देश दिया था कि वह 17 मार्च तक अंबानी के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई न करें। उनके खिलाफ जारी किए गए नए जुर्माना नोटिस में आरोप लगाया गया था कि उन्होंने दो स्विस बैंकों में जमा 814 करोड़ रुपये पर 420 करोड़ रुपये की कर चोरी की थी।
ऐसे हालात तब हैं जब फरवरी 2020 में अंबानी ने यूके की एक अदालत में घोषणा की थी कि वह दिवालिया हैं और उनकी कुल संपत्ति शून्य है।
द इंडियन एक्सप्रेस ने पहले आयकर विभाग की जाँच को लेकर रिपोर्ट छापी थी। समझा जाता है कि आयकर आदेश में दो विदेशी पनाहगाहों- बहामास और ब्रिटिश वर्जिन द्वीप समूह में अंबानी की संस्थाओं के लाभकारी स्वामित्व के बारे में जानकारी दी गई।
बहामास में उन्होंने 2006 में एक विदेशी कंपनी, ड्रीमवर्क होल्डिंग्स इंक के साथ मिलकर डायमंड ट्रस्ट की स्थापना की। यह भी पता चला था कि यूबीएस बैंक की ज्यूरिख शाखा में एक खाता पाया गया।
एक और अघोषित ऑफशोर कंपनी जिसे अंबानी ने 2010 में बीवीआई में शामिल किया था, नॉर्थ अटलांटिक ट्रेडिंग अनलिमिटेड है। इस कंपनी का बैंक खाता बैंक ऑफ साइप्रस से जुड़ा हुआ पाया गया। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, यह इकाई हालिया 'पेंडोरा पेपर्स' जाँच में अंबानी से जुड़ी 18 संस्थाओं में से एक थी।
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