लॉकडाउन की घोषणा या उससे पहले नौकरियों के बारे में जिस तरह की आशंकाएँ जताई जा रही थीं, ठीक वैसा ही असर हुआ है। लॉकडाउन के दौरान अप्रैल से जुलाई तक 1 करोड़ 89 लाख वेतन भोगी लोगों की नौकरियाँ चली गई हैं। इन वेतन भोगियों में वे शामिल नहीं हैं जो ग़ैर वेतन भोगी हैं यानी दिहाड़ी पर काम करते हैं। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी यानी सीएमआईई ने यह आँकड़ा जारी किया है। वेतन भोगी लोगों की नौकरियाँ जाना लंबे समय के लिए अर्थव्यवस्था पर असर को दिखाता है और यह भी कि अर्थव्यवस्था की हालत बहुत ख़राब है।