नोटबंदी के आँकड़ों के आधार पर लंदन स्कूल ऑफ़ इकानामिक्स में किया गया एक अध्ययन बताता है कि लॉकडाउन के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था और समाज को बचाने के लिये कम से कम ढाई लाख करोड़ रुपए बाँटने पड़ेंगे। वजह यह है कि क़रीब पचास फ़ीसदी आबादी की ख़रीदारी की ताक़त लॉकडाउन खुलने तक शून्य हो चुकेगी। रिटायर्ड आई ए एस राजू शर्मा से यही पूछ रहे हैं शीतल पी सिंह।