लॉकडाउन के कारण भारत की अर्थव्यवस्था को पड़ी मार को लेकर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने बेहद अहम टिप्पणी की है। अदालत ने कहा है कि देश की अर्थव्यवस्था में जो दिक्कतें आईं, उसके पीछे सरकार द्वारा सख़्त लॉकडाउन लगाने का फ़ैसला है।
लोन मोरैटोरियम (ऋण स्थगन) के एक मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा, ‘आपने कहा कि आरबीआई ने यह फ़ैसला लिया है, हमने आरबीआई के जवाब को देखा लेकिन केंद्र सरकार आरबीआई के पीछे छुप रही है।’
आरबीआई ने फिक्स्ड लोन और ईएमआई भुगतान के लिए वैकल्पिक 6 महीने के ऋण स्थगन की घोषणा की थी। इसकी मियाद 31 अगस्त तक है।
आरबीआई ने भी माना
मंगलवार को ही आरबीआई ने भी माना है कि सरकार की तमाम घोषणाओं, दावों और उपायों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था का संकट बढ़ता ही जा रहा है और इसके पटरी पर लौटने की फ़िलहाल कोई गुंजाइश नहीं दिखती। आरबीआई ने आधिकारिक तौर पर यह मान लिया है और कहा है कि अर्थव्यवस्था को दुरुस्त होने में अभी समय लगेगा।
बैंक ने वित्तीय वर्ष 2019-2020 की अपनी सालाना रिपोर्ट में यह भी माना है कि कोरोना महामारी की वजह से जो आर्थिक स्थिति बिगड़ी, उसकी सबसे ज़्यादा मार उन लोगों पर पड़ी है जो सबसे अधिक ग़रीब थे।
आरबीआई ने कहा है कि अर्थव्यवस्था में सुधार के जो लक्षण मई-जून में दिखे थे, वे जुलाई-अगस्त आते-आते कमज़ोर पड़ गए। इसकी वजह लॉकडाउन को सख़्ती से लागू करना है।
अपनी राय बतायें