लॉकडाउन ने आम लोगों की ही नहीं, सरकारों की भी आर्थिक स्थिति बिगाड़ दी है। राज्य सरकारों की आमदनी इतनी कम हो गई है कि उन्हें अब क़र्ज़ लेना पड़ रहा है। गुजरात सरकार को अपने ख़र्च की ज़रूरतें पूरी करने के लिए इस वित्त वर्ष के दो महीनों में ही 5000 करोड़ रुपये के क़र्ज़ लेने की ज़रूरत आन पड़ी है। यह क़र्ज़ उन रुपयों से अलग है जो केंद्र सरकार से अनुदान के रूप में ख़र्च करने को मिलते हैं।
कोरोना संक्रमण के कारण 25 मार्च से ही पूरे देश भर में लॉकडाउन है और इसके बाद अब तक इसे लगातार चार बार बढ़ाया जा चुका है। एक जून से लॉकडाउन 5.0 शुरू होकर 30 जून तक रहेगा। हालाँकि, रेड ज़ोन और कंटेनमेंट ज़ोन के बाहर अब आर्थिक गतिविधियों को खोलने की छूट दी जा रही है, लेकिन अब तक क़रीब 65 दिन तक रहे लॉकडाउन से आर्थिक गतिविधियाँ पूरी तरह चौपट हो गई हैं। और इसका असर राज्य को मिलने वाले करों पर पड़ा है। राज्यों की मुख्य आमदनी करों से ही होती है।
गुजरात देश में कोरोना संक्रमण से सबसे ज़्यादा प्रभावित राज्यों में से एक है। 15 हज़ार 934 पॉजिटिव मामले आए हैं और 980 लोगों की मौत हुई है। ज़्यादा संक्रमण का मतलब है कि ज़्यादा सख़्त लॉकडाउन और अर्थव्यवस्था पर इसका ज़्यादा असर।
गुजरात के बारे में रिपोर्ट है कि राज्य द्वारा लगाए गए विभिन्न करों से कमाई आधी से भी कमी हो गई है। इससे राज्य को वित्तीय वर्ष 2020-'21 के पहले दो महीनों में पाँच हज़ार करोड़ रुपये उधार लेने पड़े हैं। राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने 'द इंडियन एक्सप्रेस' को बताया, 'हमारे राजस्व में लॉकडाउन के कारण 50 प्रतिशत की गिरावट आई है। इसमें अन्य राजस्व के अलावा वैल्यू एडेड टैक्स (वैट), स्टांप ड्यूटी, मोटर व्हीकल टैक्स (एमवीटी), बिजली शुल्क आदि शामिल हैं।'
अधिकारी ने कहा, 'अप्रैल महीने में गैस, पेट्रोल और डीजल की बिक्री के वैट से मिलने वाला राजस्व 800 करोड़ रुपये तक कम हो गया था… हमें हर महीने 2,400 करोड़ रुपये मिलते थे। इसी तरह स्टांप ड्यूटी कलेक्शन, जो आमतौर पर हर महीने 500 से 600 करोड़ रुपये के बीच आता था, अप्रैल में घटकर सिर्फ़ 15 करोड़ रुपये रह गया। मई के महीने में कम लेनदेन के कारण राजस्व सिर्फ़ 25 करोड़ रुपये को पार कर पाया है और यह पाँच प्रतिशत से अधिक नहीं होगा।'
अख़बार के अनुसार, अधिकारी ने कहा, 'हमारे पास बहुत अधिक ख़र्च (वर्तमान में) नहीं है क्योंकि ज़्यादातर गतिविधियाँ लॉकडाउन के कारण नहीं चल रही हैं। हालाँकि, राज्य सरकार के पास 8,000 करोड़ रुपये का अनिवार्य व्यय है जिसमें 4,500 करोड़ रुपये वेतन के रूप में और 3500 करोड़ रुपये क़र्ज़ और ब्याज की अदायगी के रूप में शामिल हैं। इस ख़र्च को पूरा करने के लिए, हमें 2,500 करोड़ रुपये उधार लेने होंगे।'
रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारी ने कहा कि अप्रैल महीने के लिए 2500 करोड़ रुपये उधार लिए जा चुके हैं और मई के लिए भी इतने ही रुपये उधार लिए जाएँगे। राज्य सरकार ने ये उधार तब लिए हैं जब राज्य को केंद्रीय करों से 1500 करोड़ रुपये और केंद्रीय योजनाओं के अनुदान से 1800 करोड़ रुपये मिले हैं।
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