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सरकारें और जनता दुविधा में हैं कि तालाबंदी हट गई या जारी है?

अब कोरोना से ज़्यादा डर तालाबंदी पैदा कर रही है। प्रवासी मज़दूरों का हाल देखकर रुह काँपने लगती है। बड़े पैमाने पर बेकारी, भुखमरी और लूट-पाट का डर फैल रहा है। तालाबंदी के कारण दर्जनों मौतों का सिलसिला भी शुरू हो गया है। ऐसी स्थिति में सरकारों को चाहिए कि वे तालाबंदी को विदा करें लेकिन देश का हर व्यक्ति ख़ुद पर तालाबंदी जमकर लागू करे।
डॉ. वेद प्रताप वैदिक

सरकार ने ऐसी घोषणा की है जिसे तालाबंदी का ख़ात्मा भी समझा जा सकता है और जिसे किसी न किसी रूप में तालाबंदी का जारी रहना भी माना जा सकता है। सरकारें और जनता, दोनों दुविधा में पड़े हैं कि अब तालाबंदी हट गई है या जारी है? ये सवाल ऐसे हैं, जिनका उत्तर हाँ या ना में ही नहीं दिया जा सकता है। 

इन सवालों का जवाब खोजने के पहले देश के सभी लोगों को सबसे पहले अपने दिल से कोरोना का डर निकाल देना चाहिए। इसके लिए मैं एक नया नारा दे रहा हूँ- ‘कोरोना से डरोना’। यदि दुनिया के अन्य देशों से हम भारत की तुलना करें तो मालूम पड़ेगा कि हमारे नेताओं और उनके नौकरशाहों ने जनता को ज़रूरत से ज़्यादा डरा दिया है।

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जो देश भारत के मुक़ाबले अपनी स्वास्थ्य सेवाओं पर दुगुना, चार गुना, छह गुना और आठ गुना पैसा ख़र्च करते हैं और उनकी जनसंख्याएँ भारत के एक या दो प्रांतों के बराबर भी नहीं हैं, वहाँ ज़रा मालूम कीजिए कि कोरोना से हताहतों की संख्या कितनी है? यदि यह गणित आप ठीक से समझ लेंगे तो आपका दुख और डर काफ़ी कम हो जाएगा। अपनी जीवन-पद्धति, अपने खान-पान, अपनी प्रतिरोध शक्ति पर गर्व होने लगेगा। 

इसी का नतीजा है कि कोरोना से संक्रमित लोग जितनी बड़ी संख्या में घरेलू एकांतवास से भारत में ठीक हो रहे हैं, उतने दुनिया के किसी देश में नहीं हो रहे हैं। अभी तक 1 लाख 65 हज़ार लोग संक्रमित हुए हैं। इनमें से 71 हज़ार लोग ठीक हो चुके हैं। 90 हज़ार लोगों का इलाज जारी है। इनमें से चार सौ गंभीर हैं। इनमें से सिर्फ़ 9 मरीज़ सघन चिकित्सा में हैं। सिर्फ़ चार को ऑक्सीजन दी जा रही है और सिर्फ़ तीन या चार वेंटिलेटर पर हैं। यह ठीक है कि मरनेवालों की संख्या 5000 के आस-पास पहुँच गई है लेकिन भारत में 20-25 हज़ार लोगों की मौत अन्य कई रोगों से रोज़ होती हैं। 

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इसीलिए अब कोरोना से ज़्यादा डर तालाबंदी पैदा कर रही है। प्रवासी मज़दूरों का हाल देखकर रुह काँपने लगती है। दुकानों, दफ्तरों और कारख़ानों को जहाँ भी खोला गया है, वहाँ न तो उनको चलानेवाले लोग आ रहे हैं और न ही खरीदार लोग। बड़े पैमाने पर बेकारी, भुखमरी और लूट-पाट का डर फैल रहा है। तालाबंदी के कारण दर्जनों मौतों का सिलसिला भी शुरू हो गया है। ऐसी स्थिति में सरकारों को चाहिए कि वे तालाबंदी को विदा करें लेकिन देश का हर व्यक्ति ख़ुद पर तालाबंदी जमकर लागू करे। शारीरिक दूरी, मुखपट्टी, हाथ धोना, काढ़े का नित्य सेवन और भेषज-होम सब लोग करें तो कोरोना पर विजय पाई जा सकती है।

(डॉ. वेद प्रताप वैदिक के ब्लॉग www.drvaidik.in से साभार)
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डॉ. वेद प्रताप वैदिक
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