सरकार ने ऐसी घोषणा की है जिसे तालाबंदी का ख़ात्मा भी समझा जा सकता है और जिसे किसी न किसी रूप में तालाबंदी का जारी रहना भी माना जा सकता है। सरकारें और जनता, दोनों दुविधा में पड़े हैं कि अब तालाबंदी हट गई है या जारी है? ये सवाल ऐसे हैं, जिनका उत्तर हाँ या ना में ही नहीं दिया जा सकता है।
सरकारें और जनता दुविधा में हैं कि तालाबंदी हट गई या जारी है?
- विचार
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- 31 May, 2020

अब कोरोना से ज़्यादा डर तालाबंदी पैदा कर रही है। प्रवासी मज़दूरों का हाल देखकर रुह काँपने लगती है। बड़े पैमाने पर बेकारी, भुखमरी और लूट-पाट का डर फैल रहा है। तालाबंदी के कारण दर्जनों मौतों का सिलसिला भी शुरू हो गया है। ऐसी स्थिति में सरकारों को चाहिए कि वे तालाबंदी को विदा करें लेकिन देश का हर व्यक्ति ख़ुद पर तालाबंदी जमकर लागू करे।
इन सवालों का जवाब खोजने के पहले देश के सभी लोगों को सबसे पहले अपने दिल से कोरोना का डर निकाल देना चाहिए। इसके लिए मैं एक नया नारा दे रहा हूँ- ‘कोरोना से डरोना’। यदि दुनिया के अन्य देशों से हम भारत की तुलना करें तो मालूम पड़ेगा कि हमारे नेताओं और उनके नौकरशाहों ने जनता को ज़रूरत से ज़्यादा डरा दिया है।