अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी कमाल के आदमी हैं। एक तरफ चीन के ख़िलाफ़ उन्होंने कई मोर्चे खोल रखे हैं और दूसरी तरफ सीमा को लेकर वे भारत और चीन के बीच मध्यस्थ या पंच की भूमिका निभाना चाहते हैं।
चीन और नेपाल के तेवर ढीले, भारत सरकार का रवैया दृढ़
- विचार
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- 29 May, 2020

ट्रंप ने कहा है कि वे भारत और चीन के बीच मध्यस्थ या पंच की भूमिका निभाना चाहते हैं। इससे पहले उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच पंचायत करने की पहल कई बार की है। लेकिन पाकिस्तान और चीन दोनों को उन्होंने इतने रगड़े दिए हैं कि वे ट्रंप को कभी अपना मध्यस्थ नहीं बनाएंगे। यदि भारत या नरेंद्र मोदी को ट्रंप अपना परम मित्र मानते हैं तो वह भारत के प्रति तटस्थ हुए बिना मध्यस्थ कैसे बन सकते हैं?
मध्यस्थ या पंच की भूमिका निभाने की इच्छा रखने के बजाय वे इस सवाल को लेकर चीन पर बरस पड़ते तो वह उनका ज्यादा प्रामाणिक तेवर होता लेकिन जैसा कि मैं अक्सर कहता हूं, ‘ट्रंप का कुछ भरोसा नहीं। वे कब क्या कर पड़ें? ट्रंप की दोस्ती आसान नहीं है। नादान की दोस्ती, जी का जंजाल है।’