सरकार के दावों पर और अख़बारों के पहले पन्नों पर यक़ीन करें तो कोरोना की दूसरी लहर भी अब ख़त्म होने को है। सवाल पूछा जाने लगा है कि बाज़ार कब खुलेंगे, कितने खुलेंगे? हम कब बाहर निकल कर खुले में घूम पाएँगे? और ज़िंदगी कब सामान्य या पहले जैसी हो जाएगी?

सीआईआई प्रेसिडेंट और मशहूर बैंकर उदय कोटक ने कहा भी है कि सरकार को अब बड़े पैमाने पर नोट छापकर गरीबों को सीधे पैसा बांटना चाहिए और उन सारे कारोबारों को राहत देनी चाहिए जिनपर इस महामारी की गंभीर मार पड़ी है, और जहां रोजगार पर बुरा असर हुआ है।
बहुत जल्दबाज़ी है, व्यापारियों को, आम लोगों को और सरकारों को भी। कि कब ये बला टलने का पक्का संकेत आए और कितनी तेज़ी से लॉकडाउन हटाकर इकोनॉमी को तेज़ी से पटरी पर दौड़ाने का इंतज़ाम किया जाए। यह ज़रूरी भी है। क्योंकि साल भर से ज्यादा वक्त हो चुका है। लोगों के पास काम नहीं है, कमाई नहीं है। खर्च कम करते करते भी अब न सिर्फ गरीब बल्कि मध्यवर्ग के परिवार भी इस हाल में आ चुके हैं कि अब पाई पाई का हिसाब लगाना पड़ रहा है। बहुत से लोग तो कंगाली की चपेट में हैं। नौकरियां चली गई हैं या फिर पगार नहीं मिल रही है। यह सभी चाहते हैं कि अब इस मुसीबत से निजात मिले। घर से निकलें, कुछ काम करें और किसी तरह अपना घर चलाने का इंतजाम करें। यही हाल छोटे व्यापारियों का भी है और छोटी मोटी नौकरियां करनेवालों का भी।