जीएसटी प्रणाली के तहत राज्यों के केंद्र से मिलने वाले पैसे के मामले ने तूल पकड़ लिया है और राज्यों ने कड़ा रवैया अपना लिया है। गैर-बीजेपी शासित राज्यों ने बगाव़त करते हुए केंद्र सरकार से साफ़ शब्दों में कहा है कि उसके पास पैसे नहीं है तो वह बाज़ार से क़र्ज़ लेकर उन्हें पैसे दे, पर उन्हें हर हाल में पैसे चाहिए।
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव, दिल्ली के अरविंद केजरीवाल, तमिलनाडु के ई. के. पलानीस्वामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को चिट्ठी लिख कर दो टूक कहा है कि उन्हें पैसे चाहिए।
2.35 लाख करोड़ रुपए बकाया
केंद्र के पास राज्यों का 2.35 लाख करोड़ रुपए बकाया है जो उसे राज्यों को जीएसटी नुक़सान की भरपाई के रूप में देना है। जीएसटी परिषद की बैठक में केंद्र ने राज्यों के साफ कहा था कि उसके पास पैसे नहीं हैं और राज्य चाहें तो बाज़ार से क़र्ज़ ले लें। इसके साथ ही केंद्र ने दो उपाय भी सुझाए थे। लेकिन इन चार राज्यों ने दोनों उपायों को खारिज करते हुए केंद्र को ही सुझाव दे दिया कि वह बाज़ार से क़र्ज़ ले ले। केरल के वित्त मंत्री थॉमस इसाक ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा,
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'केंद्र के लिए उधार लेना बहुत ही आसान है, वह सीधे बाज़ार से क़र्ज़ उगाह सकता है, यदि उसे ब्याज बढ़ने का डर है तो उस क़र्ज़ को मोनेटाइज कर दे, जो आसान है, सारे देश यही करते हैं।'
थॉमस इसाक, वित्त मंत्री, केरल
जीएसटी परिषद की 19 सितंबर को होने वाली बैठक में यह मुद्दा उठ सकता है। कुछ राज्यों का विचार है कि केंद्र से पैसे उगाहने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया जाए, पर यह अंतिम उपाय के तौर पर सोचा जा रहा है। इस मुद्दे पर अगली बैठक में मतदान हो सकता है।
क़ानूनी प्रावधान
इसाक का कहना है कि जीएसटी की वजह से राज्यों को होने वाले नुक़सान की भरपाई के लिए पैसे देने का क़ानूनी प्रावधान है। इसमें कोरोना की कोई चर्चा नहीं है, लिहाज़ा, केंद्र इसे बहाना बना कर पैसे देने से बच नहीं सकता है।
इसके पहले सोमवार को हुई एक बैठक में 8 राज्यों ने केंद्र के इस सलाह को खारिज कर दिया कि वे क़र्ज़ ले लें। इस बैठक में पंजाब, पश्चिम बंगाल, केरल, दिल्ली, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, राजस्थान, पुद्दुचेरी के प्रतिनिधि मौजूद थे।
मोदी को लिखी चिट्ठी में के चंद्रशेखर राव ने कहा है कि कोरोना महामारी की वजह से उनके राज्य को अधिक पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं, कम राजस्व उगाही हुई है और राजस्व का कई दूसरा बड़ा स्रोत भी नहीं है।
उन्होंने कहा है कि केंद्र के पास तो फिर भी आयकर, कॉरपोरेट टैक्स और कस्टम्स ड्यूटी के पैसे आते हैं, राज्यों के पास तो वह भी नहीं है।
बता दें कि जीएसटी कम्पेनसेशन टू स्टेट्स एक्ट, 2017 के तहत राज्यों को यह गारंटी दी गई है कि जीएसटी लागू करने की वजह से उन्हें जो राजस्व का नुक़सान होगा, अगले पांच साल तक केंद्र उसकी भरपाई करता रहेगा। लेकिन इस साल तो राज्यों को अप्रैल से ही इस मद में पैसे नहीं मिले है।
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