बायजू के सामने लगातार संकट बढ़ता ही जा रहा है। पहले ख़बर आई थी कि इसके पास अपने कर्मचारियों का भुगतान करने के भी पैसे नहीं हैं और अब रिपोर्ट आई है कि इसने ख़र्चों में कटौती करने के लिए देश के सभी कार्यालयों को बंद कर दिया है। अब कंपनी का सिर्फ़ मुख्यालय ही काम करता रहेगा जहाँ क़रीब 1000 कर्मचारी काम करते हैं। बाक़ी कार्यालयों के कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम यानी घर से काम करने को कहा गया है।
शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाली फर्म बायजू के इस फ़ैसले से इसके 14,000 कर्मचारी प्रभावित होंगे। यानी मुख्यालय छोड़कर बाक़ी कार्यालयों को बंद करने के बाद इतने कर्मचारियों को घर से काम करने के लिए कहा गया है।
इन कार्यालयों को एकाएक नहीं खाली किया गया है, बल्कि बायजू पिछले कुछ महीनों से अपने ऑफिस खाली करने में लगी है। वैसे, कहा जा रहा है कि कंपनी संकट से गुजर रही है इसलिए खर्चों में बड़ी कटौती की योजना पर काम कर रही है, लेकिन कुछ मीडिया रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि कंपनी अपने बिजनस की रिस्ट्रक्चरिंग कर रही है और ऑफिस खाली करना उसकी उसी मुहिम का हिस्सा है।
एनडीटीवी प्रॉफिट ने सूत्रों के हवाले से बताया कि बेंगलुरु में आईबीसी नॉलेज पार्क को छोड़कर देश भर के अन्य सभी कार्यालय परिसरों को इसने खाली कर दिया है। कंपनी ने लागत में कटौती करने के लिए शहरों में कार्यालयों के लिए अपने कई अनुबंधों को नवीनीकृत नहीं किया है।
कंपनी की हालत पिछले कुछ दिनों से ख़राब है। हाल में ख़बर आई थी कि कंपनी के कर्मचारियों को सैलरी नहीं मिली।
बायजू के फाउंडर और ग्रुप सीईओ बायजू रवींद्रन ने हाल में कर्मचारियों को लिखी एक चिट्ठी में निवेशकों पर आरोप लगाया था कि वे सैलरी नहीं देने दे रहे हैं। कंपनी का कहना है कि उसने 25 फीसदी कर्मचारियों को फरवरी की पूरी सैलरी दे दी है। बाकी कर्मचारियों के खाते में सैलरी का एक हिस्सा डाला गया है।
बायजू के प्रमुख शेयरधारकों ने पिछले महीने बायजू रवींद्रन को मुख्य कार्यकारी अधिकारी यानी सीईओ की भूमिका से हटाने और उनसे उनका पद छीनने के लिए मतदान किया था। इस कदम को बायजू ने खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया कि प्रस्ताव एक बैठक में पारित किया गया था जिसमें केवल चुनिंदा शेयरधारकों के एक छोटे समूह ने भाग लिया था। कंपनी ने एक बयान में कहा, 'बायजू मज़बूती से घोषित करती है कि हाल ही में संपन्न असाधारण आम बैठक के दौरान पारित प्रस्ताव...अमान्य और अप्रभावी हैं।'
कॉरपोरेट गवर्नेंस के मुद्दों पर ऑडिटर डेलॉइट के इस्तीफे और अमेरिकी ऋणदाताओं के साथ कानूनी लड़ाई सहित कई संकटों के बाद बायजू रवींद्रन ने प्रमुख निवेशकों का समर्थन खो दिया है।
कंपनी की आर्थिक स्थिति का अंदाज़ा इससे लगाया जा सकता है कि 2022 की शुरुआत में इस कंपनी की वैल्यूएशन 22 अरब डॉलर से अधिक थी जो अब करीब एक अरब डॉलर रह गई है। पिछले कुछ समय से कंपनी को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
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