सुस्त आर्थिक रफ़्तार और लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था के मद्देनज़र वित्त मंत्री से साहसिक कदम और कठोर फ़ैसलों की उम्मीद की जाती थी। पर निर्मला सीतारमण ने जो बजट पेश किया है, उससे किसी का भला नहीं होगा। उन्होंने तमाम उपाय करने की कोशिश की, पर उनके ये उपाय किसी समस्या का समाधान कर पाएंगे, इस पर गंभीर संदेह है।
बजट : इस जेब का माल उस जेब में, न किसी को फ़ायदा, न अर्थव्यवस्था में सुधार
- अर्थतंत्र
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- 2 Feb, 2020

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के इस बजट से लोगों ने बहुत उम्मीदें पाल रखी थीं, पर उन्होंने इस जेब का पैसा उस जेब में डालने की महारत दिखाने के सिवा कुछ नहीं किया। क्या इससे अर्थव्यवस्था में कोई सुधार होगा, बता रहे हैं वरिष्ठ आर्थिक पत्रकार आलोक जोशी।