मोदी सरकार ने रिज़र्व बैंक के पास अतिरिक्त पड़े तक़रीबन साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये ठीक आम चुनाव से पहले मांगे हैं। इन पैसों का इस्तेमाल नई जनहितकारी योजनाओं और आधारभूत परियोजनाओं में निवेश के लिए हो सकता है। इसके अलावा वह ये पैसे सरकारी बैंकों में भी लगा सकती है ताकि उद्योग जगत को कम ब्याज़ पर अधिक पैसे दिए जा सकें। इसलिए मामला सिर्फ़ केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता और केंद्र के साथ उसके तक़रार या दोनों के अहम की लड़ाई का नहीं है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आरबीआई से उसके सरप्लस रिज़र्व से 3.60 लाख करोड़ रुपए मांगे तो सबके कान खड़े हो गए। कितन पैसे हैं आरबीआई के पास?
आंकड़ों के मुताबिक़, 30 जून 2018 को रिज़र्व बैंक के पास कुल परिसम्पत्ति यानी नेट असेट्स 36.17 लाख करोड़ रुपए थे। बैंकिंग व्यवस्था और अर्थनीति को सुचारू रूप से चलाने के लिए केंद्रीय बैंक के पास 27 प्रतिशत सरप्लस रिज़र्व यानी लगभग 9.70 लाख करोड़ रुपए होने चाहिए। लेकिन वित्त मंत्रालय का कहना है कि रिज़र्व बैंक को इतने पैसे सरप्लस रिज़र्व यानी अतिरिक्त रखने की ज़रूरत ही नहीं है।
सरकार को रिज़र्व बैंक से क्यों चाहिए 3.60 लाख करोड़ रु.?
- अर्थतंत्र
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- 16 Nov, 2018
नरेंद्र मोदी सरकार रिज़र्व बैंक की बांह मरोड़ कर 3.60 लाख करोड़ रुपए ऐन चुनाव के पहले चाहती है ताकि इसका सियासी फ़ायदा उठाया जा सके?
