आरएसएस के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के संरक्षक इंद्रेश कुमार ने निजाम हैदराबाद की शान में कसीदे पढ़े, उनकी दूरदर्शिता की तारीफ की। यह पहला मौका है जब आरएसएस के किसी सीनियर नेता ने निजाम हैदराबाद की तारीफ की है। भारत की आजादी के समय नई बनी जवाहर लाल नेहरू सरकार और निजाम के रिश्ते तल्ख थे। तत्कालीन गृह मंत्री सरदार पटेल को हैदराबाद में सेना भेजनी पड़ी थी, उसके बाद निजाम हैदराबाद (7वे) मीर उस्मान अली ने भारत में अपने राज्य को मिलाने की घोषणा की थी। आरएसएस इसलिए निजाम की आलोचना करता रहा है।
इंद्रेश कुमार ने कहा कि निजाम हैदराबाद की दृष्टि सेकुलर थी, इसलिए हैदराबाद साम्प्रदायिक सौहार्द का शहर बना। उनकी वजह से यहां धार्मिक सहिष्णुता हमेशा रही। हमें अब मोहब्बत का नया सफर शुरू करना चाहिए, जिसमें नफरत की कोई जगह न हो। अगर हम लोग नियमित रूप से मिलते रहेंगे तो नफरत मिटेगी और मोहब्बत फैलेगी।
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इंद्रेश कुमार यहां तीन दिवसीय इंटरनैशनल उर्दू कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन करने आए थे। इसका आयोजन मीर उस्मान अली के 136वें जन्म दिन के मौके पर किया गया है। इसका आयोजन उस्मानिया यूनिवर्सिटी की ओर से किया गया है। इसका विषय भी निजाम और धर्मनिरपेक्षता रखा गया था।
निजाम के पोते मीर नजफ अली खान ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि इंद्रेश कुमार जी से हमारी मुलाकात खुशनुमा और बहुत गर्मजोशी वाले माहौल में हुई। जिस तरह से उन्होंने हमारे दादा मरहूम की तारीफ की, वो उनका बड़प्पन है। उनके जन्मदिन पर उनके योगदान को याद किया जाना बड़ी बात है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक आरएसएस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार ने दरअसल दोनों समुदायों के बीच साम्प्रदायिक सौहार्द बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कुरान और हदीस को कोट करते हुए अपनी बातें कहीं। उन्होंने बार-बार हैदराबाद को साम्प्रदायिक सौहार्द का शहर कहा। उन्होंने कहा कि हमें एक दूसरे के त्यौहारों में हिस्सा लेना चाहिए। उन्होंने पैगम्बर की हदीस के हवाले से कहा कि नफरत एक कैंसर की तरह है जो धीरे-धीरे फैलता है। लेकिन मोहब्बत समाज में शांति लाती है।
निजाम हैदराबाद के लिए आरएसएस के किसी पदाधिकारी का यह रुख पहली बार देखने को मिला है। अभी तक आरएसएस के तमाम पदाधिकारी कहते रहे हैं कि अगर सरदार पटेल ने हैदराबाद में सेना नहीं भेजी होती तो मीर उस्मान अली पाकिस्तान से मिल जाते। आरएएस ने हैदराबाद के रजाकार आंदोलन का भी समर्थन करने के लिए निजाम हैदराबाद की आलोचना की थी। हालांकि आरएसएस इसे इंद्रेश कुमार का व्यक्तिगत विचार बताते हुए इससे किनारा भी कर सकता है। लेकिन आरएसएस ने राष्ट्रीय मुस्लिम मंच की जिम्मेदारी जिस तरह इंद्रेश कुमार को सौंप रखी है, उससे लगता नहीं कि वो उनके इस बयान से किनारा करेगी। दरअसल, इंद्रेश लगातार मुस्लिमों के बीच सक्रिय हैं।
बता दें कि इससे पहले बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने बतौर उप प्रधानमंत्री पाकिस्तान के जनक मोहम्मद अली जिन्ना की तारीफ की थी। इसके बाद वो आरएसएस के निशाने पर आ गए थे। आडवाणी की भारत का प्रधानमंत्री बनने की तमन्ना भी पूरी नहीं हो पाई। इस घटनाक्रम के मद्देनजर जब आरएसएस का कोई नेता किसी मुस्लिम शासक की तारीफ करता है या मुसलमानों को मिलाने की बात करता है तो लोग चौकन्ने हो जाते हैं।
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