तब्लीग़ी जमात के मुखिया मौलाना साद के ख़िलाफ़ क़ानूनी शिकंजा लगातार कसता जा रहा है। हर तीसरे-चौथे दिन दिल्ली पुलिस के सूत्रों के हवाले से ऐसी ख़बर आती है। कई टीवी चैनल प्रमुखता से इस ख़बर को चलाते हैं। अगले दिन कई अख़बार इस ख़बर को पहले पेज पर बड़ी हेडलाइंस के साथ छापते हैं। लेकिन अफ़सोस की बात यह है कि इनमें से कोई टीवी चैनल और अख़बार यह सवाल नहीं पूछता कि अगर पुलिस को मौलाना साद के ख़िलाफ़ इतने सुबूत मिल गए हैं तो फिर वह उन्हें गिरफ़्तार क्यों नहीं करती?