क्या कहा है अमेरिकी विदेश मंत्री ने?
ये सवाल इसलिए महत्वपूर्ण हैं कि अमेरिका यूरोप में तैनात अपने सैनिकों को वहाँ से हटा कर दक्षिण पूर्व एशिया में लगाने जा रहा है। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पिओ ने गुरुवार को औपचारिक तौर पर कहा कि यूरोप से सेना हटाने की एक वजह यह भी है कि भारत को चीन से ख़तरा है। वह यूरोपीय संघ से जुड़े ब्रसेल्स फ़ोरम के वर्चुअल कॉन्फ्रेंस में बोल रहे थे।“
'चीनी कम्युनिस्ट पार्टी जो कुछ कर रही है, उसका मतलब है भारत को ख़तरा, वियतनाम को ख़तरा, मलेशिया को ख़तरा, इंडोनेशिया को ख़तरा और दक्षिण चीन सागर में चुनौतियाँ।'
माइक पॉम्पिओ, विदेश मंत्री, अमेरिका
भारत-चीन तनाव और अमेरिका
माइक पॉम्पिओ का यह एलान इसलिए बेहद अहम है कि भारत और चीन के बीच तनाव है, वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास दोनों सेनाएं बिल्कुल आमने-सामने खड़ी हैं और गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प हुई जिसमें दोनों तरफ के सिपाही मारे गए।अमेरिका का यह कहना इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि चीनी सरकार के अख़बार ग्लोबल टाइम्स ने कहा है कि भारत को यह समझना चाहिए कि अमेरिका उसकी मदद नहीं कर सकता है।
अमेरिका की दिलचस्पी
पिछले हफ़्ते माइक पॉम्पिओ ने ‘भारत के साथ सीमा पर तनाव बढ़ाने’ और दक्षिण चीन सागर का ‘सैन्यीकरण’ करने के लिए चीनी सेना की आलोचना की थी। उन्होंने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी को ‘रोग एक्टर’ भी क़रार दिया था।चीन और यूरोपीय संघ
अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि वह यूरोपीय संघ में चीन के मुद्दे पर बातचीत शुरू करेंगे। उन्होंने कहा कि 27 देशों के इस संगठन में चीन पर अलग से बात होनी चाहिए और बीजिंग के ख़िलाफ़ सख़्ती बरती जानी चाहिए।अमेरिकी विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि चीनी दूरसंचार कंपनी ह्वाबे को यूरोपीय देशों में काम नहीं देने के मुद्दे पर देशों को समझाने में उन्हें आंशिक कामयाबी मिल चुकी है। उनका तर्क है कि ह्वाबे से सुरक्षा को ख़तरा है क्योंकि वह तमाम जानकारी चीनी सेना को दे सकता है, इसलिए उसे दूर रखा जाना चाहिए।
नज़र अमेरिकी चुनाव पर
पर्यवेक्षकों का कहना है कि माइक पॉम्पिओ की इस मुहिम के तार इस साल नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से भी जुड़े हो सकते हैं। इस चुनाव में मौजूदा राष्ट्र्पति डोनल्ड ट्रंप रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार होंगे।ट्रंप चुनाव को ध्यान में रख कर ही चीन के ख़िलाफ़ मोर्चेबंदी में लगे हुए हैं, उनकी कोशिश हो सकती है कि चीन के नाम पर पूरी अमेरिकी जनता को अपने पीछे लामबंद किया जाए।
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