मोदी सरकार ने बजट 2020 में एक बार फिर वादा किया है कि वह साल 2022 तक किसानों की आय दुगनी करने की कोशिश करेगी। बजट में किसानों से कई लोक-लुभावन वादे किये गये हैं। वित्त मंत्री का कहना है कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से कई अहम फ़ैसले लिए गए हैं। उन्होंने अपने भाषण के दौरान कृषि मंडियों के काम में सुधार की ज़रूरत पर भी बात की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीते कई मौक़ों पर 2022 तक किसानों की आय दुगनी होने की बात करते रहे हैं।
पिछले कई सालों से कृषि क्षेत्र लगातार संकट से गुजर रहा है। मोदी सरकार अपने पहले कार्यकाल में इस बात का दावा करती रही कि वह कृषि क्षेत्र को मुश्किलों से निकाल लेगी लेकिन महाराष्ट्र, पंजाब सहित देश के कई इलाक़ों से किसानों की आत्महत्या की ख़बरें आती रहीं। इस बजट में वित्त मंत्री ने कृषि क्षेत्र के लिये 16 बिंदुओं का फ़ॉर्मूला बताया है। सीतारमण ने कहा कि बजट 2020 में किसानों को सक्षम बनाने और उनकी चुनौतियों के बारे में ध्यान देने पर जोर दिया गया है।
खेती-किसानी को प्रतिस्पर्धी बनाने पर जोर
सीतारमण ने कहा कि केंद्र सरकार राज्यों को कृषि के आधुनिक क़ानूनों को अपनाने के लिये प्रोत्साहित करेगी। बाज़ार तक बेहतर कनेक्टिविटी न होने के अभाव में किसानों के लिये अपनी उपज बढ़ाना एक संकट रहा है। वित्त मंत्री ने बजट भाषण में इस बात पर जोर दिया है कि किसानी के तरीक़े को और प्रतिस्पर्धी बनाने की ज़रूरत है और कृषि के क्षेत्र में और ज़्यादा तकनीकों को अपनाये जाने की आवश्यकता है।
वित्त मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री कृषि ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान (कुसुम) योजना के तहत सरकार 20 लाख किसानों को सोलर पंप लगाने और 15 लाख किसानों को सोलर से मिलने वाली सिंचाई सुविधाओं को देने में मदद करेगी।
‘सौर ऊर्जा बेच सकेंगे किसान’
वित्त मंत्री ने 100 सूखाग्रस्त जिलों के विकास पर काम करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि किसानों को पानी की दिक्कत ना आए इसके लिये योजना चलाई जाएगी। किसानों की बंजर भूमि का उपयोग सौर ऊर्जा संयंत्रों को लगाने के लिये किया जाएगा। अब किसान भी सौर ऊर्जा पैदा कर सकते हैं और इसे ग्रिड को बेच सकते हैं। उन्होंने कहा कि इन क़दमों को 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के इरादे से उठाया गया है।
‘किसान एक्सप्रेस चलाएगी सरकार’
सीतारमण ने कहा कि सरकार ज़ीरो बजट वाली किसानी के काम को समर्थन देना जारी रखेगी, इसकी घोषणा पिछले बजट में की गयी थी। उन्होंने कहा कि किसानों को बाज़ार से जोड़ने के लिये सरकार किसान एक्सप्रेस रेल चलाएगी और विमानन मंत्रालय भी कृषि उड़ान की शुरुआत करेगा जिससे किसान सही समय पर बाज़ार में अपनी फ़सल पहुंचा सकें। किसान एक्सप्रेस रेल पीपीपी (पब्लिक-प्राइवेट-पार्टनरशिप) योजना पर चलेगी। वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार रेलवे दूध, मांस और मछली की सप्लाई के लिये कोल्ड सप्लाई चेन बनायेगी।
सीतारमण ने कहा कि सरकार उर्वरकों के संतुलित इस्तेमाल को बढ़ावा देगी और और इसलिए रासायनिक खादों के इस्तेमाल को कम किया जाएगा। गांवों में किसानों, महिलाओं के लिये धन्य लक्ष्मी योजना का एलान बजट में किया गया है। बेहतर मार्केटिंग और निर्यात के लिये राज्य एक जिले-एक उत्पाद पर फ़ोकस करेंगे जिससे जिले के स्तर पर ज्यादा ध्यान दिया जा सके।
दूध, मछली उत्पादन को बढ़ाया जाएगा
वित्त मंत्री ने बजट भाषण में कहा कि नाबार्ड रि-फ़ाइनेंसिंग योजना को और विस्तार दिया जाएगा। 2020-21 के लिए कृषि ऋण लक्ष्य 15 लाख करोड़ रुपये निर्धारित किया गया है। इसके अलावा दूध उत्पादन की क्षमता को 2025 तक वर्तमान के 53.5 लाख टन से 108 लाख टन किया जाएगा। मछली उत्पादन को भी 2022-23 तक 200 लाख टन तक बढ़ाये जाने की बात उन्होंने कही। उन्होंने कहा कि ग़रीबी को ख़त्म करने के लिये स्वयं सहायता समूहों की स्थापना की जाएगी।
लगातार ख़ुदक़ुशी कर रहे किसान
यह तो हुई सरकारी वादों की बात लेकिन ज़मीन पर हालात कुछ ऐसे हैं कि पिछले दो साल में ऐसा पहली बार हुआ है जब गाँवों में खपत बढ़ने के बजाय कम हुई है। इसकी वजह मज़दूरी और लोगों के पास नकद पैसे का कम होना है। भारत में कृषि की बढ़िया पैदावार के लिये पहचाने जाने वाले पंजाब से भी आये दिन किसानों के आत्महत्या करने की ख़बरें आती रहती हैं। हरित क्रांति का जनक कहलाने वाला पंजाब किसानों और कृषि मज़दूरों द्वारा बड़े पैमाने पर की जा रही ख़ुदकुशियों की वजह से चर्चा में है। इसके अलावा महाराष्ट्र में भी किसानों की स्थिति बेहद ख़राब है।
बेमौसम हुई भारी बरसात की वजह से पिछले साल महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या के मामले काफ़ी ज़्यादा बढ़े। बरसात से 70 फ़ीसदी फ़सलें नष्ट हो गईं थीं और राज्य के एक करोड़ किसान प्रभावित हुए थे। मराठवाड़ा और विदर्भ क्षेत्र में किसानों की आत्महत्या की सबसे ज्यादा घटनाएँ सामने आती रही हैं।
वित्त मंत्री की तमाम घोषणाओं के बाद क्या यह उम्मीद की जानी चाहिए कि किसानों की माली हालत सुधरेगी। क्या किसानों की आत्महत्या की घटनाएं रुकेंगी। क्या 130 करोड़ की आबादी का पेट भरने वाला किसान अपने घर की ज़रूरतों को पूरा कर सकेगा, क्या वह अपनी फसलों को बाज़ार में पहुंचा पायेगा और कोल्ड स्टोरेज के अभाव में उसकी फसल या उपज ख़राब तो नहीं होगी। और अहम सवाल यह भी है कि क्या उसे उसकी फसल का उचित दाम मिलेगा।
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