कांग्रेस ने राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की तरह ही तेलंगाना में भी किसानों का कर्ज़़ माफ़़ करने का वादा किया था। चुनाव घोषणापत्र और प्रचार में ‘कर्ज़़ माफ़़ी’ को ही सबसे ज़्यादा उछाला गया। कर्ज़माफ़ी के कांग्रेसी वादे का असर हिंदी पट्टी के तीन राज्यों में तो साफ़ दिखा, लेकिन तेलंगाना में इसका कोई असर नहीं हुआ। बड़ी बात तो यह है कि तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) ने सिर्फ 1 लाख रुपये तक का कर्ज़ माफ़ करने का वादा किया था, जबकि कांग्रेस ने 2 लाख का। बावजूद इसके टीआरएस की शानदार जीत हुई और कांग्रेस की क़रारी हार।
'रैतु बंधु' से जीते केसीआर, क्या मोदी भी लेंगे सहारा?
- तेलंगाना
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- 1 Jan, 2019
तेलंगाना में केसीआर की जीत में 'रैतु बंधु' यानी ‘किसान मित्र’ योजना की बड़ी भूमिका रही। अब मोदी सरकार भी किसानों की नाराज़गी दूर करने के लिए ऐसी ही योजना ला सकती है।

टीआरएस की जीत की एक बड़ी वजह थे किसान। मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) की एक योजना ने किसानों को टीआरएस की ओर लामबंद किया। इस योजना का नाम है 'रैतु बंधु', जिसका हिंदी में अर्थ है ‘किसान मित्र’। यह योजना तेलंगाना में पिछले साल ही शुरू की गई थी। इस योजना के तहत तेलंगाना सरकार ने किसानों को हर साल, दो फ़सली मौसमों के लिए चार-चार हज़ार रुपये प्रति एकड़ देना शुरू किया है। यानी, अगर किसी किसान के पास एक एकड़ किसानी/उपजाऊ ज़मीन है तो उसे फ़सल उगाने के लिए सरकार की ओर से सालाना 8 हजार रुपये दिए जाएँगे।