आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस में मार मची है। दोनों ऐसे दिखा रहे हैं जैसे एक-दूसरे के जानी दुश्मन हों। एक-दूसरे को छू देंगे तो भस्म हो जाएँगे। ख़ूब जम कर गाली-गलौच हो रही है। दोनों ही पार्टियाँ यह साबित करने में लगी हैं कि वे कभी एक-दूसरे के साथ नहीं जाएँगी। पूरब-पश्चिम एक हो सकते हैं; सूरज रात में निकल सकता है पर ये दोनों कभी एक-दूसरे के साथ नही हो सकते। ऐसे में सवाल यह उठता है कि कहीं ऐसा तो नहीं, यह मुहब्बत की पहली सीढ़ी हो जहाँ पहले एक-दूसरे के प्रति नफ़रत होती है लेकिन यह नफ़रत कब मुहब्बत में बदल जाती है, पता नहीं चलता। अब यह देखना है कि लोकसभा चुनाव तक यह नफ़रत यूँ ही बनी रहेगी या फिर प्रेम के बोल भी बोले जाएँगे!