आईएएस नियमों में प्रस्तावित बदलाव के विरोध में अब केरल और तमिलनाडु भी आ गए हैं। दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर इन बदलावों का विरोध किया है। इससे पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सहित कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने विरोध में पत्र लिखा है। ऐसा करने वालों में एनडीए वाली राज्य सरकार और बीजेपी शासित राज्य सरकारें भी शामिल हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार विरोध करने वाले राज्यों में ओडिशा, मध्य प्रदेश, बिहार और मेघालय भी शामिल हैं।
केरल के पिनराई विजयन और तमिलनाडु के एमके स्टालिन रविवार को उन मुख्यमंत्रियों की बढ़ती सूची में शामिल हो गए जिन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा यानी आईएएस अधिकारियों के नियमों में केंद्र सरकार के प्रस्तावित बदलावों का जोरदार विरोध किया है।
राज्य इसलिए विरोध कर रहे हैं क्योंकि ये बदलाव आईएएस अधिकारियों की पोस्टिंग पर निर्णय लेने के लिए केंद्र को व्यापक अधिकार देते हैं। केंद्र की ओर से इस प्रस्तावित बदलाव को लेकर राज्यों को जवाब देने की समय सीमा 5 जनवरी से बढ़ाकर 25 जनवरी कर दी गई है। इसी की प्रतिक्रिया में राज्य प्रधानमंत्री को पत्र लिख रहे हैं।
स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे एक पत्र में कहा है कि केंद्र द्वारा प्रस्तावित आईएएस कैडर नियमों में संशोधन देश की संघीय व्यवस्था और राज्य की स्वायत्तता की जड़ पर प्रहार करते हैं।
I have written to @PMOIndia expressing my strong reservations against the proposed amendments to IAS (Cadre) Rules 1954. I also request other Chief ministers to express their opinion about this proposal which shakes the foundation of the federalism of our nation. pic.twitter.com/phnQNVjnsB
— M.K.Stalin (@mkstalin) January 23, 2022
विजयन ने भी इसी तरह का एक पत्र भेजा है जिसमें केंद्र सरकार से इस कदम को त्यागने का आग्रह करते हुए कहा गया कि यह राज्य सरकार की नीतियों को लागू करने में सिविल सेवा अधिकारियों के बीच भय की मनोविकृति पैदा करेगा।
Proposed amendments in Deputation Rules of All India Services will induce fear & hesitancy among AIS Officers in implementing policies of State Govts. of parties politically opposed to ruling party at Centre. It'll weaken cooperative federalism; may be dropped. Wrote to Hon. PM.
— Pinarayi Vijayan (@vijayanpinarayi) January 23, 2022
इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी कहा था, 'यह हमारे संघीय ताने-बाने और हमारे संविधान के बुनियादी ढांचे को भी नष्ट करने वाला है। यह हमारा संविधान है जो राज्यों को उनकी शक्तियां और कार्य देता है और यह हमारा संविधान है जो अखिल भारतीय सेवाओं की रूपरेखा और संरचना देता है जैसा कि वे मौजूद हैं। केंद्र सरकार ने अब जिस तेजी से एकतरफा प्रस्ताव रखा है, वह उस ढांचे की जड़ पर प्रहार करेगा जो हमारे लोकतंत्र की स्थापना के बाद से मौजूद है और अच्छी तरह से काम करता रहा है।'
बता दें कि मौजूदा नियमों के तहत तीन अखिल भारतीय सेवा यानी एआईएस के अधिकारी - आईएएस, भारतीय पुलिस सेवा यानी आईपीएस और भारतीय वन सेवा के अधिकारी - एक कैडर के रूप में एक राज्य (या छोटे राज्यों के समूह) से जुड़े होते हैं। ये अधिकारी उसी कैडर में तब तक सेवा देते हैं जब तक कि वे केंद्र सरकार में सेवा देने का विकल्प नहीं चुनते हैं। यदि वे इस विकल्प का प्रयोग करते हैं तो संबंधित राज्य को केंद्र द्वारा पोस्टिंग के लिए विचार किए जाने से पहले उनके अनुरोध पर सहमत होना होता है।
अब केंद्र सरकार इस नियम में बदलाव करना चाहती है। उसने अपने ताज़ा मसौदे में दो और संशोधन शामिल किए हैं।
ये संशोधन किसी भी आईएएस अधिकारी को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर 'जनहित' में एक निर्धारित समय सीमा के भीतर बुलाने की शक्ति देते हैं। यदि राज्य अधिकारी को कार्यमुक्त करने में विफल रहता है, तो उसे केंद्र द्वारा निर्धारित नियत तारीख़ के बाद अपने आप कार्यमुक्त माना जाएगा।
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