आदेश का स्वागत
अटॉर्नी जनरल ने कमेटी बनाने के फ़ैसले का स्वागत किया है। हरीश साल्वे कहा कि सुप्रीम कोर्ट यह स्पष्ट कर सकता है कि यह किसी पक्ष की जीत नहीं होगी, बल्कि क़ानून की प्रक्रिया के जरिए जाँच की कोशिश होगी।“
"जब तक क़ानूनों की वापसी नहीं होगी, किसानों की घर वापसी नहीं होगी। हम अपनी बात रखेंगे, जो दिक्क़तें हैं सब बता देंगे।"
राकेश टिकैत, नेता, भारतीय किसान यूनियन
“
"हम अपने लिए कमेटी बना रहे हैं, कमेटी हमें रिपोर्ट देगी। कमेटी के समक्ष कोई भी जा सकता है। किसान खुद जा सकते हैं, वे वकील के माध्यम से भी वहाँ जा सकते हैं।"
जस्टिस एस. ए बोबडे, मुख्य न्यायाधीश
'कृषि क़ाूनों को रद्द करना होगा'
अदालत ने कहा, "हम सबसे अच्छे तरीके से समस्या का हल निकालने की कोशिश कर रहे हैं। हमें अपनी शक्तियों में से एक का इस्तेमाल कर कृषि क़ानून को निलंबित करना होगा। हम समस्या का समाधान चाहते हैं। हम ज़मीनी हकीक़त जानना चाहते है और इसलिए कमिटी के गठन चाहते हैं।"गणतंत्र दिवस के मौके पर प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने किसान संगठनों को नोटिस जारी किया है।
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दिल्ली का घेरा
हज़ारों किसान दिल्ली से सटे हरियाणा के इलाक़ों में लगभग डेढ़ महीने से डेरा डाले हुए हैं। उनकी शुरू से ही माँग है कि बीते साल विवादित तरीके से संसद से पारित तीन कृषि क़ानूनों को रद्द कर दिया जाए, क्योंकि इससे कृषि व्यवस्था चौपट हो जाएगी और वे आर्थिक रूप से बर्बाद हो जाएंगे।
केंद्र सरकार का कहना है कि वह किसानों की समस्याओं को सुनने, उस पर विचार करने और उसके हिसाब से क़ानूनों में संशोधन करने के तैयार है, पर ये क़ानून रद्द नहीं किए जाएंगे। लेकिन किसान क़ानूनों को रद्द करने की माँग पर अड़े हुए हैं।
क्या है मुख्य माँगें?
किसानों की मुख्य चार माँगे हैं- कृषि उत्पादों के न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी को सुनिश्चित करने के लिए क़ानूनी प्रावधान किया जाए, कृषि उत्पाद मंडियों से छेड़छाड़ न किया जाए, बिजली संशोधन विधेयक वापस ले लिया जाए और पराली जलाने पर सज़ा के प्रावधान को ख़त्म किया जाए।
क्या कहना है सरकार का?
सरकार अंत की दो माँगें यानी बिजली संशोधन विधेयक वापस लेने और पराली जलाने पर सज़ा के प्रावधान को ख़त्म करने पर राज़ी हो गई है। पर शुरू की दो माँगें यानी कृषि उत्पादों के न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी को सुनिश्चित करने के लिए क़ानूनी प्रावधान करने और कृषि उत्पाद मंडियों से छेड़छाड़ न करने के लिए व्यवस्था करने की माँग नहीं मान रही है।
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