पैगंबर मोहम्मद साहब के बारे में बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा की टिप्पणियों के लिए उनके खिलाफ देश भर में दर्ज सभी 10 मामलों को दिल्ली स्थानांतरित कर दिया जाएगा। उन सभी मामलों की जाँच अब दिल्ली पुलिस करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने नूपुर को राहत देने वाला बुधवार को यह आदेश दिया है।
नूपुर शर्मा ने अलग-अलग राज्यों में दर्ज एफ़आईआर को एक करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। उन्होंने कहा था कि उनकी जान को ख़तरा है और ऐसे में अलग-अलग राज्यों में मामलों की सुनवाई के लिए जाने से यह ख़तरा और ज़्यादा रहेगा। अदालत ने राहत देते हुए कहा है कि नूपुर शर्मा के ख़िलाफ़ दर्ज सभी केसों को एक किया जाता है ताकि उन्हें उन केसों में अपना बचाव करने के लिए अलग-अलग राज्यों में जाने की ज़रूरत न पड़े।
पैगंबर मोहम्मद साहब के बारे में अपनी टिप्पणियों के लिए नूपुर शर्मा को देश भर में तो विरोध का सामना करना ही पड़ा था, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी नूपुर के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने के लिए सरकार पर काफ़ी दबाव पड़ा था। खाड़ी देशों द्वारा आधिकारिक तौर पर शिकायतों दर्ज कराई गई थीं। बीजेपी इस मामले में बुरी तरह फँस गई थी। इसके बाद शर्मा को जून में भाजपा के प्रवक्ता के रूप में निलंबित कर दिया गया था।
बहरहाल, अदालत ने कहा है कि अगर पैगंबर मोहम्मद के बारे में शर्मा की टिप्पणी पर उनके ख़िलाफ़ और प्राथमिकी दर्ज की जाती हैं तो वे स्वतः ही दिल्ली पुलिस को स्थानांतरित कर दी जाएंगी।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने कहा, 'चूंकि यह अदालत पहले ही याचिकाकर्ता के जीवन और सुरक्षा के लिए गंभीर ख़तरे का संज्ञान ले चुकी है, हम निर्देश देते हैं कि नूपुर शर्मा के ख़िलाफ़ सभी प्राथमिकी को स्थानांतरित किया जाए और दिल्ली पुलिस को जांच के लिए जोड़ा जाए।'
कोर्ट ने कहा है कि उनके खिलाफ दर्ज सभी मामलों की जांच दिल्ली पुलिस के इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस यानी आईएफएसओ द्वारा की जाएगी।
पीठ ने कहा, 'आईएफएसओ मामले को तार्किक अंत तक लाने के लिए अन्य पुलिस बलों से सहायता लेने के लिए स्वतंत्र होगी। जांच ख़त्म होने तक नूपुर शर्मा को दी गई अंतरिम सुरक्षा बढ़ाई जाएगी।' सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि मौजूदा और भविष्य की प्राथमिकी को रद्द करने के लिए वह दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाकर अपने अधिकार और रेमडी का इस्तेमाल कर सकती हैं।
बता दें कि 1 जुलाई को सुनवाई के दौरान नूपुर शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट से देश भर में उनके खिलाफ दर्ज सभी एफआईआर को एक साथ जोड़ने और उन्हें दिल्ली में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया था।
19 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि नूपुर शर्मा को पैगंबर पर उनकी टिप्पणियों को लेकर उनके ख़िलाफ़ नौ मामलों में गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। उन्होंने दलील दी थी कि 1 जुलाई के आदेश के बाद अजमेर दरगाह के एक कर्मचारी ने वीडियो पर उनका गला काटने की धमकी दी और उत्तर प्रदेश के एक अन्य निवासी ने उन्हें गाली दी और सिर काटने की धमकी दी।
उनके ख़िलाफ़ दिल्ली, महाराष्ट्र, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और असम में मामले दर्ज किए गए हैं।
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