सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस एन. वी. रमन्ना और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी के बीच का विवाद गहराता जा रहा है। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एस. ए. बोबडे ने जस्टिस रमन्ना से कहा है कि वे जगनमोहन रेड्डी के आरोपों का जवाब दें। रेड्डी ने शिकायत की थी कि जस्टिस रमन्ना आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट को प्रभावित कर रहे हैं। इसके पहले हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की आलोचना करते हुए कई आदेश जारी किए थे।
क्या है मामला?
बीते दिनों जस्टिस बोबडे ने जगनमोहन रेड्डी से कहा था कि वे 6 अक्टूबर को की गई शिकायत से जुड़ा हलफ़नामा पेश करें। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री ने मुख्य न्यायाधीश को एक चिट्ठी लिखी थी, जिसमें उन्होंने जस्टिस रमन्ना पर गंभीर आरोप लगाए थे।
जस्टिस रमन्ना की एक बेंच ने पूर्व सांसदों व विधायकों के ख़िलाफ बेहद धीमी गति से चल रहे मामलों की सुनवाई तेज़ कर दी थी। इसके तुरन्त बाद ही जगनमोहन रेड्डी ने जस्टिस रमन्ना के ख़िलाफ़ शिकायत की थी। 6 अक्टूबर, 2020 को लिखी गई उस शिकायती चिट्ठी को 9 अक्टूबर को सार्वजनिक भी कर दिया गया था।
शिकायतें
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री ने जस्टिस रमन्ना के ख़िलाफ़ की गई शिकायत से जुड़ा हलफ़नामा पेश कर दिया था। इसके बाद ही जस्टिस रमन्ना से जवाब देने को कहा गया है। यदि मुख्य न्यायाधीश बोबडे जस्टिम रमन्ना के जवाब संतुष्ट होंगे तो इस मामले को वहीं ख़त्म कर दे सकते हैं, वर्ना वे और जानकारी माँग सकते हैं।
जगनमोहन रेड्डी की शिकायत के बाद कई अहम घटनाएं हुईं। मुख्य न्यायाधीश की अगुआई में बने कॉलीजियम ने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों का तबादला कर दिया था। इन अदालतों में जगनमोहन रेड्डी से जुड़े मुक़दमे चल रहे थे।
जगनमोहन रेड्डी ने जस्टिस बोबडे को लिखी चिट्ठी में कहा था कि जस्टिस रमन्ना आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट की बैठकों और रोस्टर को प्रभावित कर रहे हैं। वे अमरावती भूमि घोटाले से जुड़े मामले को रोस्टर में कुछ चुनिंदा जजों को ही रखवा रहे हैं और इस तरह न्याय प्रशासन को प्रभावित कर रहे हैं।
जस्टिस रमन्ना ने क्या कहा था?
इसके बाद जस्टिस रमन्ना ने दिल्ली में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बग़ैर किसी का नाम लिए स्वतंत्र न्यायपालिका का मुद्दा उठाया था और जजों पर पड़ने वाले दबावों की चर्चा की थी।
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस ए. आर. लक्ष्मणन के निधन पर शोक सभा में कहा था कि 'सभी दबावों और बाधाओं का सामना करना और सभी बाधाओं के ख़िलाफ़ बहादुरी से खड़ा होना न्यायाधीश का एक महत्वपूर्ण गुण है' और वर्तमान समय में एक 'जीवंत और स्वतंत्र न्यायपालिका... की आवश्यकता है'।
जगनमोहन पर 31 मामले
याद दिला दें कि जगनमोहन रेड्डी पर कुल मिला कर 31 मामले चल रहे हैं। उन्होंने विधानसभा चुनाव का पर्चा भरते समय खुद यह जानकारी दी थी। ये मामले ईडी और सीबीआई ने लगाए हैं और इनसे जुड़ी एफ़आईआर आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के अलग-अलग थानों में दर्ज कराई गई थीं। रेड्डी पर भारतीय दंड संहिता के तहत 20 तरह के आरोप लगाए गए थे।
जगनमोहन रेड्डी पर ख़तरनाक हथियार रखने, दंगा करने, किसी को चोट पहुँचाने या हत्या करने की तैयारी करने के भी आरोप लगाए गए थे। उन पर किसी को ज़बरन बंदी बनाए रखने, डराने-धमकाने, हमला करने, सार्वजनिक संपत्ति को नु़क़सान पहुँचाने और सरकारी कर्मचारी को अपना काम करने से रोकने के आरोप भी हैं।
जगनमोहन रेड्डी पर यह आरोप भी है कि जब उनके पिता वाई. एस. राजशेखर रेड्डी आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, उन्हें प्रभावित कर निजी कंपनियों को सस्ते में खनन के अधिकार दिलवाए और इसके बदले उनसे फ़ायदे लिए थे। सीबीआई की जाँच और उसकी रिपोर्ट के आधार पर इनफ़ोर्समेंट डाइरेक्टरेट ने जगनमोहन रेड्डी पर 5 मुकदमे कर दिए।
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