महाराष्ट्र की महा विकास अघाडी सरकार में शामिल कांग्रेस और शिव सेना के रिश्ते बीते कुछ दिनों से ठीक नहीं चल रहे हैं। सरकार में शामिल एक और दल एनसीपी के मुखिया शरद पवार को यूपीए अध्यक्ष बनाने की जोरदार हिमायत करने वाली शिव सेना को इसे लेकर कांग्रेस की ओर से जवाब भी मिला है। अब ताज़ा विवाद औरंगाबाद शहर के नाम को बदलने को लेकर खड़ा हुआ है।
महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष और राजस्व मंत्री बाला साहेब थोराट ने शिव सेना की इस मांग का विरोध किया है। शिव सेना लंबे वक़्त से मांग करती रही है कि औरंगाबाद का नाम संभाजीनगर रख दिया जाए। पिछले साल जनवरी में राज्य के प्रशासन ने इस संबंध में सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी।
कांग्रेस करेगी विरोध
थोराट कुछ दिन पहले ग्राम पंचायत के चुनाव प्रचार के लिए औरंगाबाद में आए थे। तब उन्होंने कहा था कि महा विकास अघाडी सरकार के सामने औरंगाबाद का नाम संभाजी नगर रखने का कोई प्रस्ताव नहीं आया है। थोराट ने कहा था कि कांग्रेस ऐसे किसी भी क़दम का घोर विरोध करेगी। उन्होंने कहा था कि सरकार न्यूनतम साझा कार्यक्रम के हिसाब से ही चलेगी। उन्होंने यह भी कहा था कि नाम बदलने से शहर का विकास नहीं हो सकता।
थोराट ने कहा था, ‘महा विकास अघाडी में शामिल दल आम सहमति से ही कोई फ़ैसला लेते हैं। कुछ बिंदुओं पर मतभेद हो सकते हैं लेकिन हम न्यूनतम साझा कार्यक्रम का पालन करेंगे।’
बीजेपी भी कूदी
बीजेपी भी इस मामले में कूद गई है। महाराष्ट्र बीजेपी के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने कहा है कि औरंगाबाद का नाम बदलना कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है बल्कि यह आस्था का सवाल है। बीजेपी ने कहा है कि शिव सेना को अपने पुराने स्टैंड पर कायम रखना चाहिए।
पुरानी है मांग
शिव सेना संस्थापक बाला साहेब ठाकरे ने सबसे पहले 1988 में औरंगाबाद का नाम संभाजी नगर रखने का प्रस्ताव रखा था। 1995 में जब औरंगाबाद नगर निगम में शिव सेना-बीजेपी सत्ता में थे, तब इस शहर का नाम बदलने का प्रस्ताव पास किया गया था। शिव सेना नेता मनोहर जोशी के मुख्यमंत्री रहते हुए सरकार की ओर से इसे लेकर नोटिफ़िकेशन भी जारी किया गया था।
छत्रपति संभाजी महाराज एक मराठा योद्धा थे। औरंगाबाद का नाम मुगल बादशाह औरंगज़ेब के नाम पर रखा गया था।
शिव सेना कट्टर हिंदुत्व की राजनीति के लिए जानी जाती है जबकि कांग्रेस सेक्युलर राजनीति के लिए। ऐसे में जब से महा विकास अघाडी की सरकार बनी है, तभी से यह सवाल उठता है कि आख़िर यह सरकार कब तक चलेगी।
यूपीए अध्यक्ष को लेकर विवाद
शिव सेना ने कुछ दिन पहले ही कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए पर हमला बोला था। पार्टी ने अपने मुखपत्र सामना में कहा था कि यूपीए को देखकर ऐसा लगता है कि यह एक एनजीओ है और एनसीपी को छोड़कर इसमें शामिल बाक़ी दलों को देखकर लगता है कि वे किसान आंदोलन को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।
सामना में शिव सेना ने आगे कहा था कि शरद पवार राष्ट्रीय स्तर पर एक ताक़तवर शख़्सियत हैं और यहां तक कि प्रधानमंत्री मोदी भी उन्हें सुनते हैं और उनके अनुभवों से सीख लेते हैं। यह भी कहा था कि राहुल गांधी व्यक्तिगत रूप से जोरदार संघर्ष करते रहते हैं और उनकी मेहनत बखान करने जैसी है लेकिन कहीं तो कुछ कमी ज़रूर है।
पिछले साल के आख़िरी महीनों में जब शरद पवार ने कहा था कि राहुल गांधी में एकाग्रता की कमी है, तब कांग्रेस की ओर से इस पर सख़्त एतराज जताया गया था और इसे लेकर भी कई तरह की चर्चाएं राजनीतिक गलियारों में हुई थीं।
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