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पंजाब में पराली जलाने के मामले बढ़ रहे हैं

सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार से पराली जलाने पर फौरन रोक लगाने को कहा

हर साल दिल्ली एनसीआर में दिवाली के आसपास प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है और इसी के साथ पंजाब-हरियाणा के किसानों की पराली जलाने की घटनाओं को दोष दिया जाता है। हर साल सुप्रीम कोर्ट भी पराली नहीं जलाने की चेतावनी राज्यों को देता है। हर साल एक जैसी प्रक्रिया। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार 7 नवंबर को पंजाब को निर्देश दिया कि पराली जलाना फौरन रोका जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पराली जलाने से रोकना सरकार का काम है। इसके अलावा, अदालत ने दिल्ली, उत्तर प्रदेश और राजस्थान की राज्य सरकारों को पराली जलाने पर अंकुश लगाने का भी निर्देश दिया है।
अदालत ने कहा- हर समय राजनीतिक लड़ाई नहीं चल सकती। हम चाहते हैं कि यह (पराली जलाना) बंद हो। हम नहीं जानते कि आप यह कैसे करते हैं, यह आपका काम है। लेकिन इसे रोका जाना चाहिए. तुरंत कुछ करिए। सरकार ने मंगलवार को दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर दायर याचिका की सुनवाई के दौरान ये बातें कहीं।
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एसएचओ भी होगा जिम्मेदार

वायु प्रदूषण मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा कि शनिवार को जब वो पंजाब से यात्रा कर रहे थे, तो उन्होंने सड़क के दोनों ओर बड़े पैमाने पर आग देखी। सुप्रीम कोर्ट ने स्थानीय SHO को भी डीजीपी और मुख्य सचिव की निगरानी में पराली जलाने पर अदालत के निर्देश को लागू करने के लिए जिम्मेदार बनाया। इसके अलावा, कोर्ट ने मुख्य सचिवों को प्रदूषण के मुद्दे पर भौतिक रूप से या ज़ूम के माध्यम से बैठक करने के लिए कहा है।

अदालत ने इस तथ्य पर भी ध्यान दिया कि पहले के आदेश के अनुसार स्थापित एक स्मॉग टॉवर काम नहीं कर रहा है, और सरकार को यह तय करने का निर्देश दिया गया है कि इसे जल्द से जल्द ठीक कराया जाए। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी के कुछ हिस्से मंगलवार को धुंध के घने बादलों से ढके रहे, क्योंकि दिल्ली और आसपास हवा की गुणवत्ता 'गंभीर' श्रेणी में बनी हुई है।
सर्दियों के महीनों के दौरान वायु प्रदूषण का स्तर कई कारणों से अधिक हो सकता है, जिसमें धूल और वाहन प्रदूषण, शुष्क-ठंडा मौसम, पराली जलाना, फसल के मौसम के बाद फसल के अवशेष जलाना और यात्रा करना शामिल है। लेकिन देखने में आता है कि सिर्फ किसानों को इसका जिम्मेदार ठहरा दिया जाता है। जिन और वजहों से प्रदूषण बढ़ रहा है, उस पर कोई ध्यान नहीं देता। 
बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ''दिल्ली को साल-दर-साल इसी स्थिति में नहीं रखा जा सकता। प्रदूषण रोकने के सारे उपाय फौरन किए जाएं। अन्यथा हमारा बुलडोजर चला तो रुकेगा नही।'' सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को यह तय करने का भी निर्देश दिया कि नगर निगम का ठोस कचरा खुले में न जलाया जाए।
प्रदूषण पर राजनीति दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी और भाजपा गंभीर वायु प्रदूषण संकट के बीच एक-दूसरे पर दोषारोपण करते रहते हैं। दोनों पार्टियां एक-दूसरे के शासन वाले राज्यों में पराली जलाने को राष्ट्रीय राजधानी में स्वास्थ्य संकट का कारण बता रही हैं। आप की मुख्य प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने सोमवार को एक संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया था कि हरियाणा में धान की पराली (पराली) जलाना दिल्ली में वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है और राज्य की भाजपा सरकार ने खेतों में आग रोकने के लिए कुछ नहीं किया। बता दें कि जब तक पंजाब में आप की सरकार नहीं थी तो वो पंजाब सरकार को भी जिम्मेदार ठहराती थी।

इस पर पलटवार करते हुए, दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने दावा किया कि रविवार को आप शासित पंजाब में 3,000 से अधिक पराली जलाने की घटनाएं हुईं, जबकि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल चुनावी राज्यों में "राजनीतिक पर्यटन" में व्यस्त थे।

लुधियाना स्थित पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर के आंकड़ों के अनुसार, पंजाब में 2,060 ताजा पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गईं, जिससे सोमवार तक ऐसे मामलों की कुल संख्या 19,463 हो गई। किसानों ने फसल अवशेषों को आग लगाना जारी रखा हुआ है।
पीटीआई के मुताबिक 15 सितंबर से 6 नवंबर तक पराली जलाने की कुल 19,463 घटनाएं दर्ज की गईं, जो पिछले साल की इसी अवधि के 29,999 मामलों से 35 प्रतिशत कम थीं। राज्य में 2021 में इसी अवधि के दौरान 32,734 पराली जलाने की घटनाएं हुईं थीं।
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दिल्ली में हालात बदतर

सीपीसीबी द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार दिल्ली में एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (एक्यूआई) की स्थिति बदतर बनी हुई है। आनंद विहार में AQI 440, नरेला में 388, पंजाबी बाग में 434, आरके पुरम में 431 और शादीपुर में 408 दर्ज किया गया। ये सभी 'गंभीर श्रेणी क्षेत्र' में हैं। इसी तरह जहांगीरपुरी में AQI 416, IGI एयरपोर्ट पर 404, पूसा रोड पर 337 और सोनिया विहार में 407 दर्ज किया गया।

दिल्ली में 10वीं और 12वीं को छोड़कर सभी क्लास में पढ़ाई बंद है। स्कूल ऑनलाइन क्लास पर लौट रहे हैं। दिल्ली में 13 नवंबर से एक हफ्ते के लिए ऑड-इवन (सम-विषम) वाहन प्रणाली लागू होने जा रही है। दिल्ली सरकार ने और भी कई एहतियाती कदम उठाने की घोषणा की है।
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