जहां दिल्ली में वायु गुणवत्ता 400 के आस-पास के ख़तरनाक स्तर पर है, वहीं पाकिस्तान के लाहौर में यह 1900 और मुल्तान में 2000 पार कर गया। क्या सिर्फ़ जुर्माना बढ़ाकर प्रदूषण फैलने से रोका जा सकता है?
दिल्ली में जब फिर से हवा जहरीली हो गई है तो फिर से आसपास के राज्यों में पराली जलाए जाने के मामले ने तूल पकड़ा है। जानिए, कृषि मंत्री ने पराली को लेकर क्या दावा किया है।
दिल्ली एनसीआर में खराब और जहरीली हवा पर बढ़ती चिंताओं के बीच सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार 7 नवंबर को पंजाब सरकार से पराली जलाने पर तुरंत रोक लगाने का निर्देश दिया। पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर के आंकड़ों से पता चला है कि पंजाब में 2,060 ताजा पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गईं, जिससे सोमवार तक ऐसे मामलों की कुल संख्या 19,463 हो गई।
पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने का सिलसिल शुरू हो गया है। हालांकि यह अभी चरम पर नहीं पहुंचा है लेकिन इसने दिल्ली की आबोहवा को खराब करना शुरू कर दिया है। केंद्र सरकार और आप सरकार के बीच इस मुद्दे पर नूरा कुश्ती भी इसी के साथ शुरू हो गई है। जानिए क्या है पूरी कहानी।
दिल्ली में प्रदूषण के लिए पराली जलाना क्या प्रमुख कारण नहीं है? आख़िर केंद्र सरकार ने क्यों कहा कि 4% ही प्रदूषण के लिए पराली ज़िम्मेदार? क्या केंद्र का यह दावा चुनाव के मद्देनज़र है जिससे किसान नाराज़ न हों?
किसानों से बातचीत में पराली जलाने वालों पर जुर्माने का प्रावधान रद्द करने पर केंद्र सरकार की रजामंदी से उसके द्वारा आनन-फानन में एनसीआर प्रदूषण नियंत्रण आयोग के गठन के पीछे उसकी नीयत पर सवालिया निशान लग रहा है।
पराली से दिल्ली में बढ़ रहे प्रदूषण को रोकने के उपायों की निगरानी के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी को निलंबित कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्णय तब लिया जब केंद्र सरकार ने कहा कि वह क़ानून के माध्यम से एक स्थायी संस्था गठित करेगी।
दिल्ली में हवा ज़्यादा ख़राब हुई तो पराली जलाने के लिए पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों को फिर से ज़िम्मेदार बताया जाने लगा। किसान पराली क्यों जला रहे हैं और क्या पराली जलाने से ही दिल्ली की हवा दमघोंटू हो जा रही है?
पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने से दिल्ली में बढ़ रहे प्रदूषण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दखल दिया है। इसने सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज के नेतृत्व में मॉनिटरिंग कमेटी बनाई है।