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'इंडिया' गठबंधन का ही हिस्सा समाजवादी पार्टी कांग्रेस पर हमला करते-करते अब नये मोर्चे की बात करने लगी है। पीडीए पर आधारित नया मोर्चा। पीडीए यानी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक। हालाँकि वह इसकी बात काफी पहले से कहते रहे हैं, लेकिन इसके आधार पर नये मोर्चे की बात पहली बार की है? तो फिर इंडिया गठबंधन का क्या होगा?
इस सवाल का जवाब जानने से पहले यह जान लें कि अखिलेश यादव ने क्या कहा है और उनकी कांग्रेस से तनातनी क्यों है। सोमवार को एक सार्वजनिक सभा में अखिलेश ने भाजपा और कांग्रेस पर निशाना साधा और उम्मीद जताई कि 2024 के लोकसभा चुनाव में पीडीए के तहत छोटे दलों के गठबंधन से दोनों पार्टियां हार जाएंगी।
इस तरह अखिलेश ने साफ़ तौर पर पीडीए गठबंधन की बात कर दी है। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार मध्य प्रदेश के दमोह में एक रैली में सपा प्रमुख ने कहा, 'देश को एक नई विचारधारा, एक नई पार्टी और एक नए गठबंधन की जरूरत है। हमें उम्मीद है कि पीडीए गठबंधन बनेगा और एनडीए और कांग्रेस दोनों हारेंगे।'
कांग्रेस पर अपना हमला तेज करते हुए उन्होंने कहा कि सबसे पुरानी पार्टी अपने दोहरे बोल के लिए जानी जाती है और भाजपा की बी-टीम के रूप में काम करती है। उन्होंने कहा कि 'कांग्रेस समाजवादी पार्टी को अपने गठबंधन सहयोगी के रूप में नहीं चाहती है। वे आम आदमी पार्टी के खिलाफ बोलते रहे हैं। कांग्रेस के पास छोटे दलों के साथ गठबंधन करने और आगे बढ़ने का मौका था लेकिन उन्हें लगता है कि आम लोग उनके साथ खड़े हैं। पीडीए उन्हें करारा जवाब देगा।'
उनका यह बयान तब आया है जब हाल के दिनों में विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' का हिस्सा कांग्रेस और समाजवादी पार्टी में खटपट की ख़बरें आई हैं।
कांग्रेस और सपा लोकसभा चुनाव के लिए बने विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' में भले ही साथ हैं, लेकिन इन दोनों दलों के बीच खटपट तो ऐसी है जैसे ये दोनों ही यूपी में आमने-सामने टक्कर में हैं! हाल में यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय ने जेल में बंद आज़म ख़ान से मिलने की बात कही तो अखिलेश यादव भड़क गए थे। उन्होंने तो यहाँ तक आरोप लगा दिया कि आज़म ख़ान को फँसाने में कांग्रेस नेताओं का भी हाथ है। फिर ख़बर आई थी कि आज़म ख़ान ने अजय राय से मिलने से इनकार कर दिया।
कांग्रेस और सपा के बीच मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए सीट-बंटवारे को लेकर समझौता नहीं हो पाने के बाद से ही दोनों दलों के बीच तनातनी की ख़बरें आती रही हैं। कुछ दिन पहले ही अखिलेश यादव ने पत्रकारों से बातचीत में कहा था, 'यदि यह मुझे पहले दिन पता होता कि विधानसभा स्तर पर कोई गठबंधन नहीं है इंडिया का, तो उसमें कभी मिलने नहीं जाते हमारी पार्टी के लोग। न हम अपनी पार्टी की सूची देते कांग्रेस के लोगों को और न फोन उठाते कांग्रेस के लोगों के। लेकिन यदि उन्होंने यह बात कही है तो हम यह बात स्वीकार करते हैं। यदि गठबंधन केवल उत्तर प्रदेश में केंद्र के लिए होगा तो उस समय विचार किया जाएगा।'
तनातनी के कुछ दिन बाद ही कांग्रेस के साथ सपा का तनाव खत्म होने का संकेत अखिलेश यादव ने दिया था। उन्होंने कहा था कि उन्हें कांग्रेस के शीर्ष नेता से संदेश मिला है, और उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया है। सपा अध्यक्ष ने तब यह भी कहा था कि जरूरत पड़ने पर सपा हमेशा कांग्रेस के साथ खड़ी रहेगी। लेकिन इसके बाद आज़म ख़ान वाले मसले पर फिर से बयानबाजी तेज हो गई।
समझा जाता है कि यूपी में आज़म ख़ान का मुस्लिम समुदाय में दबदबा है। समाजवादी पार्टी में वह बेहद ताक़तवर माने जाते रहे। समाजवादी पार्टी का वोटबैंक भी मुस्लिम-यादव यानी 'माई' समीकरण को माना जाता रहा है। लेकिन हाल के कुछ वर्षों में मुस्लिम सपा से छिटके हैं। कहा जाता है कि मायावती का जनाधार उस तरह का रहा नहीं और बीजेपी का तो मुस्लिम समुदाय में वोटबैंक है ही नहीं। माना जा रहा है कि कांग्रेस इस बार कुछ ज़्यादा ही उम्मीद लगा रही है। यही वजह है कि यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय ने जब कहा कि वह आज़म ख़ान से जेल में मिलना चाहते हैं तो अखिलेश यादव का कड़ा रुख सामने आया।
इसी बीच अब मध्य प्रदेश में चुनाव प्रचार के दौरान अखिलेश यादव ने रविवार को कांग्रेस पर हमला किया, लेकिन रैली से इतर पत्रकारों ने जब 2024 के गठबंधन पर सवाल पूछा तो अखिलेश ने कहा, 'ये अभी विवाद मत करिए। क्योंकि कई लोगों का कहना यह था कि...हो सकता है कि हमारी ग़लती हुई हो कि हमने ये मान लिया हो कि प्रदेश में भी गठबंधन करेंगे। लेकिन ये प्रदेश में गठबंधन नहीं करना चाहते हैं। जब 2024 की बात आएगी तो एक अलग तरीके से सोचा जाएगा।' और अब उन्होंने सोमवार को 2024 के लिए पीडीए आधारित गठबंधन की बात कर दी है।
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