इतिहासकार रामचंद्र गुहा और कई दूसरे मशहूर लोगों के ख़िलाफ़ राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया है। बिहार के मुज़फ्फ़रपुर में 50 लोगों के ख़िलाफ़ प्राथमिकी दर्ज कराई गई है, जिनमें गुहा के अलावा मशहूर फ़िल्म अभिनेत्री अपर्णा सेन और फ़िल्म निर्देशक मणि रत्नम भी शामिल हैं।
इन लोगों ने अलग-अलग जगहों पर लोगों को पीट-पीट कर मार डालने की वारदात पर चिंता जताते हुए एक
खुला ख़त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखा था। बता दें कि सिर्फ़ झारखंड में पिछले 6 साल में इस तरह की 53 घटनाएँ हुई हैं, पर किसी मामले में किसी को कोई सज़ा नहीं हुई है।
इस चिट्ठी में इस ओर ध्यान दिलाया गया था कि संविधान में धर्मनिरपेक्षता और सभी जातियो, धर्मों, नस्लों के लोगों के साथ बराबरी की गारंटी दी गई है। इसके साथ ही हाल की कुछ घटनाओं पर चिंता भी जताई गई थी। इसमें कहा गया था:
“
सत्ताधारी दल की आलोचना करना राष्ट्र की आलोचना करना नहीं है। कोई सत्ताधारी दल किसी देश की जगह नहीं ले सकता। यह सिर्फ़ उस देश के कई दलों में एक होता है। लिहाज़ा, सरकार का विरोध देशद्रोह नहीं माना जा सकता है। मतभेद को जहाँ नहीं कुचला जाता है, वही मजबूत राष्ट्र बनता है।
प्रधानमंत्री को लिखी चिठी का एक अंश
इस चिट्ठी में यह उम्मीद जताई गई है कि चिंता को सही परिप्रेक्ष्य में समझा जाएगा और भारत के लोगों की चिंता और परेशानी को समझा जाएगा।
पश्चिम बंगाल की मुख्य मंत्री ममता बनर्जी ने इस चिट्ठी का समर्थन करते हुए कहा था कि इसमें जो कुछ कहा गया है, वह तो वे बातें पहले से ही कहती आई हैं।
दिलचस्प बात यह है कि इस साल ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में मॉब लिन्चिंग की घटनाओं पर चिंता जताई थी। उन्होंने कहा था कि इस तरह की घटना पश्चिम बंगाल में हो, झारखंड या केरल में, ऐसे करने वालों के साथ एक समान व्यवहार होना चाहिए और इन लोगों को क़ानून के मुताबिक सज़ा मिलनी ही चाहिए। इसके पहले अपने पहले कार्यकाल में भी प्रधानमंत्री ने यह मुद्दा उठाया था और कहा था कि कुछ लोग गोरक्षा के नाम पर क़ानून अपने हाथ में ले रहे हैं और अपराध कर रहे हैं। उन्होंने सभी राज्य सरकारों से कहाव था कि ऐसे लोगों का एक डेटा बैंक बनाया जाना चाहिए और उनके साथ सख़्ती से पेश आना चाहिए।
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