पाकिस्तान की राजनीति में हमेशा ताक़तवर रही सेना क्या अब वहाँ की अर्थव्यवस्था को भी तय करेगी? यह सवाल इसलिए कि पाकिस्तानी सेना के प्रमुख क़मर बाजवा ने बड़े-बड़े उद्यमियों के साथ निजी बैठक की है, अर्थव्यवस्था की चुनौतियों और भविष्य पर रणनीति तय की है। दो महीने पहले ही बाजवा को पाकिस्तान की दीर्घकालिक आर्थिक नीति निर्धारित करने के लिए बनाई गई उच्चस्तरीय राष्ट्रीय विकास परिषद का सदस्य बनाया गया है। बाजवा की यह बैठक ऐसे दौर में हुई है जब पाकिस्तान की आर्थिक हालत ख़राब है और प्रधानमंत्री इमरान ख़ान इससे निपटने में सफल नहीं रहे हैं। उद्यमियों के साथ सेना प्रमुख की बैठक इसलिए भी चर्चा में है कि सेना प्रमुख की विशेषज्ञता होती है देश की सुरक्षा में, ऐसे में आर्थिक विशेषज्ञता का क्या मतलब? क्या यह सेना की बढ़ती दखल का संकेत नहीं है? क्योंकि अपनी आज़ादी के 70 साल के इतिहास में पाकिस्तान में सेना ने क़रीब आधे समय तक राज किया है और सुरक्षा और विदेश मामलों में इसकी काफ़ी ज़्यादा दखल रही है।
पाक में तख्ता पलट की तैयारी! सेना प्रमुख उद्यमियों से क्यों मिले?
- दुनिया
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- 29 Mar, 2025
पाकिस्तान सेना के प्रमुख क़मर बाजवा ने बड़े-बड़े उद्यमियों के साथ निजी बैठक क्यों की है? पाकिस्तान की राजनीति में हमेशा ताक़तवर रही सेना क्या अब वहाँ की अर्थव्यवस्था को भी तय करेगी?
