सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच 24 अक्टूबर को लोक लेखा समिति (PAC) के समन के बावजूद समिति के समक्ष उपस्थित नहीं हुई। भारत के संसदीय इतिहास में यह एक शर्मनाक घटना के रूप में याद किया जाने वाला है। संभवतया यह पहली बार हुआ है कि एक अधिकारी संसदीय समिति के बुलाने पर उपस्थित न हुआ हो। इसे भारतीय संसदीय प्रणाली के अपमान के रूप में समझा जाना चाहिए। सबसे पहले यह जानना ज़रूरी है कि PAC संसदीय प्रणाली और जवाबदेही के लिए कितनी अहम संस्था है।
संसदीय कमेटी के सामने पेश न होने में माधबी पुरी बुच का क्या निजी हित है?
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- 29 Mar, 2025

भारत की संवैधानिक संस्थाओं की तरह संसदीय समितियों को भाजपा ने बौना बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। संसद की लोक लेखा समिति के सामने सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच का पेश न होना और उन्हें बुलाने पर भाजपा की आपत्ति यही बताती है। देश में एक पूरा नेक्सस सामने आ चुका है। अडानी समूह के खिलाफ आरोप लगे। सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को जांच के लिए कहा। सेबी प्रमुख अडानी समूह की कंपनियों में शेयर खरीदती और अन्य अनियमितताओं का सामना करती पाई गईं। पत्रकार कुणाल पाठक लोक लेखा समिति का महत्व इसी घटना के संदर्भ में बता रहे हैं, जानिएः