उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग (यूपीपीएससी) भारतीय संविधान के अनुच्छेद-315 के तहत एक संवैधानिक संस्था है। लेकिन आयोग जिस तरह काम कर रहा है उससे लगता नहीं कि उसे अपने संवैधानिक दायित्व का जरा सा भी ख्याल है। यूपीपीएससी ने 5 नवंबर, 2024 को एक नोटिफ़िकेशन जारी करके प्रदेश के 16 लाख छात्रों को निराश कर दिया। नोटिफिकेशन में लिखा था कि पीसीएस (प्री)-2024 और RO/ARO-2023 परीक्षायें अब एक ही दिन में आयोजित नहीं की जायेंगी, जैसा कि अब तक होता रहा है। इसका अर्थ यह है कि आयोग इनमें से हर एक परीक्षा को दो दिनों तक और कई पालियों में आयोजित करेगा। अब से लगभग 87 साल पहले बनी इस संस्था में संभवतया यह पहली बार हो रहा है।
यूपीपीएससी: दो पालियों में परीक्षा लेने से पेपर लीक कैसे रुकेगा?
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- 15 Nov, 2024

उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग आख़िर परीक्षाओं में मनमानी क्यों कर रहा है? जानिए, कई पालियों में परीक्षा कराने पर यूपीपीएससी की अजीबोगरीब तर्क क्या है।
आयोग ने कहा है कि पीसीएस(प्री)-2024 परीक्षा, 7 और 8 दिसंबर को हर दिन सुबह 9:30 बजे से 11:30 बजे और दोपहर 2:30 बजे से 4:30 बजे तक आयोजित की जाएगी। इसका यह भी अर्थ है कि आयोग को 2 अलग-अलग प्रश्नपत्र बनाने होंगे। हर एक प्रश्नपत्र में 150 प्रश्न होते हैं और इस तरह 300 प्रश्न पेपर-1 के लिए और 300 प्रश्न पेपर-2 के लिए। पिछले 10 सालों के आयोग के इतिहास में एक भी वर्ष और एक भी परीक्षा ऐसी नहीं गई जिसमें आयोग ने सभी प्रश्न सही बनाये हों। आयोग की अक्षमता में एक ग़ज़ब की निरंतरता है, इस मामले में न ही अखिलेश यादव सरकार पीछे है और ना ही योगी सरकार। हर साल परीक्षार्थी आयोग द्वारा बनाये गए ग़लत सवालों के जवाब खोजते खोजते, न्यायालय तक पहुँच जाते हैं। लगभग हर साल आयोग को अपने ही बनाए कई सवालों को ग़लत मानना पड़ता है। एक संवैधानिक संस्था जिसे प्रदेश के प्रशासन के लिए उच्च अधिकारियों को चुनना होता है वो बौद्धिक रूप से इतनी बैंक्रप्ट है कि 150 सही सवाल तक नहीं बना पाती वो अब 300 सही सवाल प्रत्येक पेपर के लिए कैसे बना पाएगी?