हाल ही में एक व्यक्ति जो ख़ुद को कवि कहता है और अब रामकथा वाचक भी है, ने एक बेहद निम्न स्तरीय टिप्पणी की है। इस कवि ने मंच पर खड़े होकर एक महिला (अभिनेत्री) के व्यक्तिगत जीवन को अपनी रूढ़िगत मानसिकता से नोंचने की कोशिश की है। मंच पर खड़े होकर, हँसी ठहाकों के बीच यह कवि इस प्रसिद्ध भारतीय अभिनेत्री के वैवाहिक जीवन पर अभद्र टिप्पणी करता है। अभिनेत्री ‘हिंदू’ हैं और उन्होंने जिससे शादी की है वह मुस्लिम है। अभिनेत्री के पिता जो ख़ुद एक विख्यात अभिनेता और वर्तमान में राज्यसभा में सांसद हैं, उनका नाम मर्यादा पुरुषोत्तम राम के एक भाई से जुड़ा हुआ है। अभिनेता के मुंबई स्थित बंगले का नाम ‘रामायण’ है। यह कवि कहता है कि ‘अपने बच्चों को नाम याद कराओ, सीता जी की बहनों के, भगवान राम के भाइयों के। एक संकेत दे रहा हूं, जो समझ जाए उनकी तालियां उठे। अपने बच्चों को रामायण सुनाइए। महाभारत पढ़ाइए। गीता पढ़ाइए। अन्यथा ऐसा ना हो कि आपके घर का नाम तो रामायण हो और आपके घर की श्री लक्ष्मी को कोई और उठा कर ले जाए।’ अपनी निर्लज्जता और धार्मिक पशुता के प्रचार के लिए लोगों से तालियों की माँग करता यह व्यक्ति एक हिन्दू महिला के मुस्लिम व्यक्ति के साथ विवाह को लेकर छनका हुआ है।
तुम ‘कवि’ नहीं, ‘साहित्य के सर्प’ हो!
- विचार
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- 26 Dec, 2024

कुमार विश्वास ने क्यों कहा कि ऐसा ना हो कि आपके घर का नाम तो रामायण हो और आपके घर की श्री लक्ष्मी को कोई और उठा कर ले जाए? उनका यह बयान क्या दर्शाता है?
कुछ लोग इस टिप्पणी को शत्रुघ्न सिन्हा और उनकी बेटी सोनाक्षी सिन्हा से जोड़कर देख रहे हैं क्योंकि उनके मुंबई स्थित आवास का नाम भी ‘रामायण’ है और अभिनेत्री सोनाक्षी ने अपनी मर्जी से अभिनेता ज़हीर इक़बाल के साथ अंतरधार्मिक विवाह किया है। कोई व्यक्ति जिसे ख़ुद को कवि कहलाना पसंद है, जो वर्षों तक अंतरधार्मिक विद्वानों/साहित्यकारों के बीच कविताएँ पढ़ता रहा, सम्मान पाता रहा, आज अचानक से जब देश का राजनैतिक माहौल ‘बहुसंख्यकवादी’ बन गया है, आज जब इस देश को तमाम उदार आवाज़ों की ज़रूरत है, आज जब इस देश को ऐसी विवेचनाओं और व्याख्याओं की ज़रूरत है जिससे देश अखंड बना रहे, प्रगति करता रहे, समरसता का माहौल स्थापित हो सके तब उसे देश की किसी अन्य घटना का ज़िक्र करना जरूरी नहीं लगा।