हाशिए यानी कमजोर वर्ग के छात्र यदि विदेश से पढ़ाई करना चाहें तो क्या यह उनके लिए इतना आसान है? खासकर तब जब सालाना लाखों रुपये ख़र्च करने की हैसियत न हो तब? यदि आपका जवाब है कि स्कॉलरशिप से तो ऐसे छात्र पढ़ ही सकते हैं तो फिर से जवाब पर विचार करना चाहिए। क्योंकि स्कॉलरशिप इतनी आसानी से नहीं मिल पाती। आवेदन करने से लेकर स्कॉलरशिप मिलने तक का यह रास्ता कई दफ़्तरों और अधिकारियों से होकर जाता है। यानी यदि इन मुश्किल दौर को पार भी कर लिया तो क्या इसमें लगने वाले समय तक एडमिशन के लिए विश्वविद्यालय रुके रह सकते हैं?
कमजोर वर्ग के छात्रों को विदेश में पढ़ाई में अड़ंगा लगाता है स्कॉलरशिप सिस्टम?
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- 12 Feb, 2025
क्या भारत का स्कॉलरशिप सिस्टम कमजोर वर्ग के छात्रों के लिए विदेश में पढ़ाई की राह मुश्किल बना रहा है? जानिए छात्रों के सामने कैसी-कैसी मुश्किलें आती हैं।

स्कॉलरशिप के लिए आवेदन पोर्टल के खुलने का समय तय नहीं हो। कोई तय समय सारणी नहीं हो। पूरी प्रक्रिया ऑफ़लाइन हो। पंचायत, ब्लॉक और जिला स्तर पर भाग-दौड़ करने और दर्जनों दस्तावेज जमा करने के बाद यदि आवेदन मंजूर हुआ तो 4-5 महीने बाद स्कॉलरशिप मिलने पर क्या विदेश के विश्वविद्यालय इतने समय के लिए इंतज़ार कर सकते हैं? क्या किसी छात्र के लिए वे अपना सेमेस्टर देर से शुरू कर सकते हैं? नहीं न?