हाशिए यानी कमजोर वर्ग के छात्र यदि विदेश से पढ़ाई करना चाहें तो क्या यह उनके लिए इतना आसान है? खासकर तब जब सालाना लाखों रुपये ख़र्च करने की हैसियत न हो तब? यदि आपका जवाब है कि स्कॉलरशिप से तो ऐसे छात्र पढ़ ही सकते हैं तो फिर से जवाब पर विचार करना चाहिए। क्योंकि स्कॉलरशिप इतनी आसानी से नहीं मिल पाती। आवेदन करने से लेकर स्कॉलरशिप मिलने तक का यह रास्ता कई दफ़्तरों और अधिकारियों से होकर जाता है। यानी यदि इन मुश्किल दौर को पार भी कर लिया तो क्या इसमें लगने वाले समय तक एडमिशन के लिए विश्वविद्यालय रुके रह सकते हैं?