सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 23 जजों का तबादला करने की सिफारिश की है। जिनके तबादले की सिफारिश की गई है उनमें गुजरात उच्च न्यायालय के न्यायाधीश हेमंत एम प्रच्छक भी शामिल हैं। जस्टिस प्रच्छक का तबादला पटना हाईकोर्ट में किया जायेगा। उन्होंने हाल ही में आपराधिक मानहानि मामले में राहुल गांधी की सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।
जस्टिस प्रच्छक के अलावा कॉलेजियम ने गुजरात उच्च न्यायालय से तीन अन्य न्यायाधीशों के स्थानांतरण की भी सिफारिश की है, जिनमें न्यायमूर्ति गीता गोपी शामिल हैं। इन्होंने मानहानि मामले में दोषसिद्धि के ख़िलाफ़ राहुल गांधी की अपील पर विचार करने से इनकार कर दिया था। तीन अगस्त की कॉलेजियम की बैठक में 9 जजों और 10 अगस्त की बैठक में 14 जजों के तबादले की सिफ़ारिश की गई है।
न्यायमूर्ति समीर दवे भी इसमें शामिल हैं जिन्होंने कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। न्यायमूर्ति समीर दवे ने हाल ही में एक नाबालिग बलात्कार पीड़िता की गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति की याचिका पर सुनवाई करते हुए 'मनुस्मृति' का संदर्भ देकर विवाद खड़ा कर दिया था।
न्यायमूर्ति दवे को राजस्थान उच्च न्यायालय में स्थानांतरित किया जाएगा जबकि न्यायमूर्ति गीता गोपी को मद्रास उच्च न्यायालय में स्थानांतरित किया जाएगा। गुजरात हाई कोर्ट के एक अन्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति अल्पेश वाई कोग्जे को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में स्थानांतरित किया जाएगा।
इनके अलावा, कॉलेजियम ने इलाहाबाद, गुजरात और पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालयों से न्यायाधीशों के स्थानांतरण की भी सिफारिश की है। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय से न्यायमूर्ति एएस सांगवान, अवनीश झिंगन, आरएम सिंह और अरुण मोंगा को क्रमशः इलाहाबाद, गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान उच्च न्यायालयों में स्थानांतरित किया जाएगा। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश वीके सिंह को मद्रास उच्च न्यायालय में स्थानांतरित किया जाएगा।
बता दें कि पहले न्यायमूर्ति प्रच्छक 2002 के गुजरात दंगों के मामले में आरोपी पूर्व भाजपा मंत्री माया कोडनानी का बचाव करने वाले वकीलों की टीम का हिस्सा रहे थे। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार न्यायमूर्ति प्रच्छक ने कथित तौर पर गुजरात उच्च न्यायालय में एक वकील के रूप में शुरुआत की और तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के अधीन गुजरात सरकार के सहायक वकील के रूप में काम किया था। 2015 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के एक साल बाद उन्हें गुजरात उच्च न्यायालय के लिए केंद्र सरकार का स्थायी वकील नियुक्त किया गया था। वह 2019 तक इस पद पर रहे। 2021 में उन्हें गुजरात उच्च न्यायालय में न्यायाधीश नियुक्त किया गया।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले शुक्रवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की 'मोदी सरनेम' टिप्पणी पर आपराधिक मानहानि मामले में उनकी सजा पर रोक लगा दी। शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा कि ट्रायल जज ने मामले में अधिकतम दो साल की सजा सुनाई है, अगर सजा एक दिन कम होती तो अयोग्यता नहीं होती। शीर्ष अदालत ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने अधिकतम 2 साल कैद की सजा देने का कोई कारण नहीं बताया है। ट्रायल कोर्ट के फ़ैसले को गुजरात हाई कोर्ट ने बरकरार रखा था और इसी के ख़िलाफ़ राहुल सुप्रीम कोर्ट गए थे।
इसी दो साल की सजा की वजह से राहुल गांधी को मौजूदा लोकसभा सांसद के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था। और इसी सजा की वजह से आगामी 2024 लोकसभा चुनाव लड़ने की उनकी योग्यता पर सवालिया निशान लगा दिया था। बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद से राहुल की संसद सदस्यता बहाल हो गई है।
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