एसबीआई ने चुनावी बॉन्ड की पूरी जानकारी अब चुनाव आयोग को सौंप दी है। इसमें यूनिक सीरियल नंबर भी शामिल है जिससे इलेक्टोरल बॉन्ड खरदीने वाले और इसको भुनाने वाले राजनीतिक दल के बीच संबंध स्थापित हो सकता है। इन जानकारियों को चुनाव आयोग को सौंपने को लेकर इसने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है। शीर्ष अदालत ने पिछली सुनवाई में एसबीआई को ऐसा करने का आदेश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने बेहद सख्ती दिखाई तब ये जानकारियाँ सामने आ पाई हैं। बैंक को 12 अप्रैल, 2019 के बाद खरीदे गए या भुनाए गए चुनावी बॉन्ड पर उनके यूनिक अल्फ़ान्यूमेरिक कोड सहित सभी जानकारी भारत के चुनाव आयोग को देने का निर्देश दिया गया था। 21 मार्च को शाम 5 बजे तक इसके अनुपालन पर एक हलफनामा दाखिल करने को कहा गया था।
शीर्ष अदालत ने 18 मार्च को अपने फ़ैसले में कहा था कि चुनाव आयोग एसबीआई से डेटा मिलने के बाद तुरंत अपनी वेबसाइट पर उसको प्रकाशित करेगा। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा था, 'हम चाहते हैं कि चुनावी बॉन्ड से संबंधित सभी जानकारी का खुलासा किया जाए जो आपके पास है।' सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एसबीआई चेयरमैन को हलफनामे में यह घोषित करना होगा कि एसबीआई ने कोई जानकारी नहीं छिपायी है।
सीजेआई ने कहा था, 'फैसला साफ़ था कि सभी जानकारियों का खुलासा किया जाना चाहिए, चुनिंदा न हों।' उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि कुछ भी दबाया नहीं गया है।
एसबीआई ने पहले चुनाव आयोग को दो सूचियाँ दी थीं, जिन्हें चुनाव आयोग ने 14 मार्च को अपनी वेबसाइट पर जारी किया था। पहले में दानदाताओं के नाम, बॉन्ड के मूल्यवर्ग और उन्हें खरीदे जाने की तारीख़ें थीं। दूसरे में राजनीतिक दलों के नाम के साथ-साथ बॉन्ड के मूल्य और उन्हें भुनाए जाने की तारीख़ें भी थीं।
उन सेटों से यह पता नहीं चल पा रहा था कि चंदा खरीदने वाले किस शख्स या कंपनी ने किस राजनीतिक दल को और कितना चंदा दिया।
इसने कहा था कि यदि कोई बॉन्ड खरीदा या भुनाया गया है, तो चुनाव आयोग एसबीआई से डेटा मिलने के बाद तुरंत अपनी वेबसाइट पर उसको प्रकाशित करेगा।
सुप्रीम कोर्ट यहीं नहीं रुका, इसने तो यह भी सुनिश्चित करने को कहा था कि वह इसका हलफनामा दे कि उसने सारी जानकारी चुनाव आयोग को दे दी है।
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