केंद्र सरकार ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के खिलाफ कथित लैंड फॉर जॉब या रेलवे भर्ती घोटाले के मामले में मुकदमा चलाने के लिए सीबीआई को मंजूरी दे दी है। बीते साल सीबीआई ने इस कथित घोटाले के मामले में एफआईआर दर्ज की थी और अक्टूबर में अदालत में चार्जशीट दायर की थी। चार्जशीट में कुल 16 लोगों के नाम थे।
चार्जशीट में लालू यादव की पत्नी और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, उनकी बेटियों मीसा भारती और हेमा यादव का भी नाम शामिल है।
बीते साल जुलाई में सीबीआई ने इस मामले में लालू यादव के पूर्व ओएसडी भोला यादव को भी गिरफ्तार कर लिया था।
यह मामला तब का है जब लालू यादव रेल मंत्री थे। आरोप है कि उस वक्त कई उम्मीदवारों को जमीन के बदले नौकरियां दी गई थीं। सीबीआई को इस मामले में कुछ उम्मीदवारों की गवाही भी मिली थी और शुरुआती जांच के बाद एजेंसी ने एफआईआर दर्ज कर ली थी।
सीबीआई ने आरोप लगाया है कि 2004-2009 के दौरान रेलवे में ग्रुप डी की नौकरियों के बदले बतौर रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर जमीन की संपत्ति के ट्रांसफर के रूप में आर्थिक लाभ हासिल किया था।
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कथित रेलवे भर्ती घोटाले के मामले में बीते साल अगस्त में बिहार में आरजेडी के कई नेताओं के खिलाफ सीबीआई ने छापेमारी की कार्रवाई की थी। आरजेडी के विधान परिषद सदस्य सुनील सिंह, राज्यसभा सांसद अशफाक करीम और फैयाज़ अहमद के आवास पर जांच एजेंसी ने छापा मारा था। ये नेता आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव के करीबी हैं।
सीबीआई ने बीते साल दिसंबर में लालू प्रसाद यादव के खिलाफ कथित रूप से भ्रष्टाचार के एक पुराने मामले को खोला था। यह मामला भी तब का है जब लालू यादव रेल मंत्री थे। इस मामले में आरोप है कि लालू यादव के रेल मंत्री रहते हुए रेलवे परियोजनाओं के आवंटन में भ्रष्टाचार हुआ था।
आरजेडी इस मामले सहित अन्य मामलों को भी लालू परिवार के खिलाफ बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार की एक राजनीतिक चाल करार दे चुकी है।
एजेंसियों का बेजा इस्तेमाल
पिछले आठ सालों में सीबीआई, ईडी, इनकम टैक्स जैसी प्रतिष्ठित जांच एजेंसियों के काम पर सवाल उठे हैं कि क्यों ये एजेंसियां विपक्षी नेताओं, उनके रिश्तेदारों, करीबियों को धड़ाधड़ समन भेज रही हैं या उनके घरों-दफ़्तरों में छापेमारी कर रही हैं। सीबीआई, ईडी और इनकम टैक्स पर सरकार के इशारे पर राजनीतिक बदले की भावना से कार्रवाई करने के और विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने के आरोप लगते रहे हैं।
कुछ दिन पहले महाराष्ट्र के एनसीपी नेता और पूर्व मंत्री हसन मुश्रीफ के ठिकानों पर ईडी ने छापेमारी की थी। पिछले साल महाराष्ट्र में शिवसेना के उद्धव गुट के सांसद संजय राउत व उनके करीबियों, एनसीपी के बड़े नेताओं पर जांच एजेंसियों की कार्रवाई को लेकर महाराष्ट्र की सियासत में काफी बवाल हो चुका है।
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ताबड़तोड़ छापेमारी
पिछले साल सितंबर में राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार के गृह राज्य मंत्री राजेंद्र यादव के ठिकानों पर आयकर विभाग ने छापेमारी की थी। यह छापेमारी राजस्थान मध्याह्न भोजन कथित घोटाला मामले में की गई थी। दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार की आबकारी नीति के मामले में जांच एजेंसी ईडी ने लगातार दिल्ली-एनसीआर व कई शहरों में छापेमारी की थी।सीबीआई ने आबकारी नीति को लेकर उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के घर पर छापेमारी की थी और गाजियाबाद के पंजाब नेशनल बैंक की ब्रांच में स्थित उनके बैंक लॉकर को भी खंगाला था।
विपक्षी राजनीतिक दलों का कहना है कि मोदी सरकार विपक्षी दलों के प्रमुख नेताओं के खिलाफ एजेंसियों का दुरुपयोग कर उन्हें निशाना बना रही है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की ईडी के सामने पेशी को लेकर भी कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने मोदी सरकार पर हमला बोला था।
पिछले कुछ सालों में कांग्रेस से लेकर टीएमसी और आरजेडी से लेकर आम आदमी पार्टी तक कई विपक्षी दलों के ऐसे सैकड़ों नेता हैं जिन्हें जांच एजेंसियों की कार्रवाई का सामना करना पड़ा है। ऐसे नेताओं में आरजेडी के प्रमुख लालू प्रसाद यादव, पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और मायावती, पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, वरिष्ठ कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा, कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार, सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा, दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सांसद भतीजे अभिषेक बनर्जी सहित कई नेता शामिल हैं।
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