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चिराग के बाद निशंक से बंगला खाली कराने की बारी, सिंधिया को मिलेगा!

अपने दिवंगत पिता रामविलास पासवान को आवंटित बंगले से जिस तरह चिराग पासवान को बेदखल होना पड़ा है उसी तरह से अब एक बीजेपी नेता को भी बेदखल किए जाने की ख़बर है। रिपोर्ट है कि पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को 27, सफदरजंग रोड से बेदखल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। कहा जा रहा है कि यह बंगला अब कांग्रेस से बीजेपी में शामिल होने वाले केंद्रीय विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को आवंटित किया गया है।

27, सफदरजंग रोड का वह वही बंगला है जो सिंधिया परिवार को लंबे समय तक आवंटित रहा था। यह पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया के दिवंगत पिता माधवराव सिंधिया को आवंटित किया गया था। तब वह केंद्रीय मंत्री थे। ज्योतिरादित्य सिंधिया का 2019 तक बंगले पर कब्जा था। 2019 में वह लोकसभा चुनाव हार गए थे। तब उन्हें वह बंगला खाली करना पड़ा था।

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रमेश पोखरियाल 27, सफदरजंग रोड पर पिछले कुछ सालों से रह रहे हैं। लेकिन चूँकि वह अब केंद्रीय मंत्री नहीं हैं, इसलिए उन्हें 2, तुगलक लेन में एक नया आवास दिया गया है, लेकिन अब तक वह सफदरजंग वाला बंगला खाली नहीं कर पाए हैं। 

इसी को लेकर कहा जा रहा है कि अधिकारी अब इसे उसी तरह खाली कराने जाएँगे जैसे चिराग पासवान के मामले में हुआ। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि निष्कासन शुरू करने के लिए सोमवार को एक टीम भेजी जाएगी।

अख़बार ने सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है कि संपदा निदेशालय की ओर से बार-बार नोटिस दिए जाने के बावजूद पोखरियाल ने बेदखली का विरोध किया है। उन्होंने बंगले में बने रहने के लिए अनुमति मांगी, लेकिन उनके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया गया।

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रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से ख़बर है कि सिंधिया को पिछले साल केंद्रीय मंत्री बनाए जाने के बाद कम से कम तीन बंगलों का विकल्प दिया गया था। लेकिन उन्होंने 27, सफदरजंग रोड आवंटित करने का अनुरोध किया। पोखरियाल द्वारा परिसर खाली नहीं करने के कारण सिंधिया आनंद लोक में अपने निजी आवास पर रह रहे हैं।

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रिपोर्ट में कहा गया है कि पोखरियाल अब मंत्री नहीं हैं, इसलिए वह टाइप VIII आवास के लिए पात्र नहीं हैं। संपदा निदेशालय के नियमों के अनुसार, टाइप VIII बंगले  सेवारत मंत्रियों, राज्यसभा सदस्यों और न्यायपालिका के वरिष्ठ सदस्यों को आवंटित किए जाते हैं। नियमों के अनुसार, निशंक को अपने इस्तीफे के एक महीने के भीतर परिसर खाली कर देना चाहिए था।
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क़मर वहीद नक़वी
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