पंजाब की भगवंत मान सरकार ने शुक्रवार को विधानसभा में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पास किया है। इस प्रस्ताव के जरिए पंजाब ने चंडीगढ़ पर अपना दावा जताया है। इसके लिए पंजाब सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया था। विधानसभा में मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि वह पंजाब के हकों की लड़ाई लड़ेंगे और उन्होंने इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिलने का वक्त मांगा है।
इस प्रस्ताव को विधानसभा में वॉइस वोट के जरिए पास किया गया। इस दौरान बीजेपी के विधायक सदन से गैरहाजिर रहे और इससे पहले भी उन्होंने इस मामले में सदन से वॉकआउट कर दिया था।
जबकि आम आदमी पार्टी, कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल और बहुजन समाज पार्टी के विधायकों ने प्रस्ताव का समर्थन किया।
कुछ दिन पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने चंडीगढ़ प्रशासन के कर्मचारियों के लिए केंद्रीय सेवा नियम लागू करने का एलान किया था। इससे पहले चंडीगढ़ प्रशासन में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए पंजाब सरकार के सेवा नियम लागू होते थे। इसका पंजाब के सभी राजनीतिक दलों ने विरोध किया था।
इस प्रस्ताव का समर्थन करने के लिए भगवंत मान ने विपक्षी दलों का शुक्रिया अदा किया और कहा कि विपक्षी दलों को केंद्र के खिलाफ एक हो जाना चाहिए। मान ने कहा कि चंडीगढ़ प्रशासन में हमेशा से पंजाब और हरियाणा के अफसरों का अनुपात 60:40 का रहा है लेकिन केंद्र सरकार ने चंडीगढ़ में बाहर से अफसरों को लाकर बैठा दिया और अब चंडीगढ़ प्रशासन के कर्मचारियों के लिए केंद्रीय सेवा के नियम लागू कर दिए।
उन्होंने कहा कि जब भी किसी राज्य का विभाजन होता है तो राजधानी हमेशा पुराने वाले राज्य के पास रहती है इसलिए पंजाब चंडीगढ़ पर अपना दावा करता है और इससे पहले भी पंजाब की विधानसभा कई बार केंद्र सरकार से चंडीगढ़ पंजाब को देने के संबंध में अपील कर चुकी है। बता दें कि 1966 में हरियाणा पंजाब से अलग हुआ था लेकिन पंजाब और हरियाणा की राजधानी आज भी चंडीगढ़ ही है।
कुछ महीने पहले कांग्रेस की चरणजीत सिंह चन्नी सरकार का भी केंद्र सरकार के साथ बीएसएफ का क्षेत्राधिकार बढ़ाने को लेकर टकराव हुआ था।
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