कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसानों का ‘रेल रोको’ आंदोलन शांतिपूर्ण रहा। कहीं से भी किसी तरह की हिंसा या अप्रिय घटना का समाचार नहीं मिला। कुछ जगह पर तो किसानों ने रेलवे अधिकारियों को फूल भी भेंट किए। संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर किया गया ‘रेल रोको’ आंदोलन दिन में 12 बजे से 4 बजे तक चला।
‘रेल रोको’ आंदोलन का पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में ठीक असर दिखा। यहां पर किसानों ने रेलवे स्टेशनों पर प्रदर्शन किया और रेल की पटरियों पर लेट गए। किसानों ने एक बार फिर कहा कि कृषि क़ानूनों के ख़त्म होने तक वे अपना आंदोलन जारी रखेंगे।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सहारनपुर, हापुड़, अमरोहा, शामली, मोदीनगर, ग़ाज़ियाबाद सहित कई जगहों पर किसान और वामपंथी दलों के कार्यकर्ता नज़दीकी रेलेवे स्टेशनों पर पहुंचे और प्रदर्शन किया।
जम्मू, अमृतसर, फतेहगढ़ साहिब, पलवल के अलावा महाराष्ट्र के औरंगाबाद में भी किसानों ने प्रदर्शन किया। पटना में पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी के कार्यकर्ता सड़क पर उतरे। इसके अलावा हरियाणा के अंबाला व कई अन्य जगहों पर भी किसानों ने प्रदर्शन किया।
'खड़ी फसल में आग लगा देंगे'
हरियाणा के खरक पूनिया में आयोजित महापंचायत में किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, “सरकार ग़लतफहमी में न रहे कि किसान फसल कटाई पर गांव आएगा। अगर सरकार ने ज़्यादा बकवास की तो किसान खड़ी फसल में आग लगा देगा और एक दाना नहीं देगा। अगला लक्ष्य 40 लाख ट्रैक्टरों को इकट्ठा करने का है।”
किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा है कि किसान संगठन अब चुनावी राज्य पश्चिम बंगाल में भी जाएंगे और लोगों से कहेंगे कि वे ऐसे लोगों को वोट न दें जो हमारी रोजी-रोटी को छीन रहे हैं।
चक्का जाम किया था
इससे पहले 5 फरवरी को किसानों ने चक्का जाम का आह्वान किया था और यह शांतिपूर्ण रहा था। पंजाब और हरियाणा में कई जगहों पर प्रदर्शनकारी सड़क पर उतरे थे और यहां जाम का ख़ासा असर देखने को मिला था। इसके अलावा महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, राजस्थान में भी किसानों ने प्रदर्शन किया था। 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली के दौरान जिस तरह कुछ उपद्रवी तत्वों ने हिंसा का सहारा लिया, उसके बाद किसान संगठन बेहद सतर्कता बरत रहे हैं।
12 फरवरी को राजस्थान में सभी टोल को फ्री कर दिया गया था। हरियाणा और पंजाब में किसान कई बार टोल को फ्री कर चुके हैं।
किसान महापंचायतों का दौर जारी
कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ उत्तर भारत के कुछ राज्यों में हो रही किसान महापंचायतों को लेकर माहौल खासा गर्म है। 26 जनवरी के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश से लेकर हरियाणा, राजस्थान और उत्तरांखड में हुई महापंचायतों में जितनी बड़ी संख्या में लोग उमड़े हैं, उससे पता चलता है कि यह आंदोलन कई राज्यों में फैल चुका है।
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