पेगासस स्पाइवेयर मामले में सुप्रीम कोर्ट के आज के फ़ैसले के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर कई सवाल दागे। उन्होंने कहा कि पेगासस भारतीय लोकतंत्र को कुचलने का एक प्रयास है। राहुल ने सर्वोच्च न्यायालय के फ़ैसले का स्वागत किया और कहा कि यह एक बड़ा क़दम है कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले को देखेगा। अदालत ने आज ही इस पर एक फ़ैसले में कहा है कि इस मामले की जाँच के लिए तीन सदस्यों की कमेटी बनाई गई है। अदालत ने कमेटी से कहा है कि वह मामले की तेज़ी से जाँच करे। अदालत दो महीने बाद फिर से इस मामले में सुनवाई करेगी।
कोर्ट के इस फ़ैसले के बाद राहुल गांधी ने एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस की। उन्होंने कहा कि पेगासस मामले में विपक्ष "सही" है क्योंकि न्यायाधीशों ने उन बिंदुओं को रखा है जिनको विपक्ष रखता रहा था।
राहुल गांधी ने कहा, 'संसद में हमने पेगासस का मुद्दा उठाया था। पेगासस देश पर, देश के संस्थानों पर एक हमला है। हमने 3 सवाल पूछे थे। पेगासस को किसने अधिकृत किया, इसको किसने खरीदा? पेगासस जासूसी के शिकार कौन हैं, जिन पर हमला किया गया वे कौन हैं? क्या किसी अन्य देश के पास हमारे लोगों का डाटा है, उनके पास क्या सारी जानकारी है? ये 3 बुनियादी प्रश्न हैं जो हमने पूछे थे।'
इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इसे कोई प्राइवेट पार्टी नहीं खरीद सकती, इसे सरकार ही खरीद सकती है।
उन्होंने सीधे प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को निशाने पर लेते हुए कहा कि पेगासस को प्रधानमंत्री ने ऑर्डर किया है या गृह मंत्री ने ऑर्डर किया है। उन्होंने कहा, 'अगर प्रधानमंत्री ने हमारे ही देश पर किसी और देश से मिलकर आक्रमण किया है तो हम ये प्रधानमंत्री से सुनना चाहते हैं।'
राहुल गांधी ने कहा कि हालाँकि कोर्ट में जाँच हो रही है लेकिन हम चाहेंगे कि संसद में भी इसपर चर्चा हो। उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से बीजेपी उस चर्चा को नहीं चाहेगी, लेकिन विपक्ष संसद में फिर से बहस पर जोर देगा।
#Pegasus मामले में सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर का हम स्वागत करते हैं।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) October 27, 2021
बात राजनीति की नहीं है- ये देश के लोकतांत्रिक ढाँचे पर, जनता पर व आज़ादी पर हमला है।
ये हमला करने का निर्देश सिर्फ़ दो ही लोग दे सकते हैं और जब सच सामने आएगा उनके पास कोई जवाब नहीं होगा।
बता दें कि पेगासस स्पाईवेयर से जासूसी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यों की कमेटी बनाई है। इस कमेटी में डॉ. नवीन कुमार चौधरी, डॉ. प्रभाहरन पी. और डॉक्टर अश्निन अनिल गुमस्ते शामिल हैं। कमेटी के कामकाज पर सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज आरवी रविंद्रन नज़र रखेंगे। रविंद्रन की मदद के लिए आलोक जोशी, डॉ. संदीप ओबेराय को नियुक्त किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फ़ैसले में कहा कि सरकार की ओर से राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा बताए जाने का मतलब यह नहीं है कि न्यायपालिका मूकदर्शक बनी रहे।
अदालत ने कहा, “किसी लोकतांत्रिक देश में, जहां क़ानून का शासन हो, वहां किसी की भी जासूसी करने की इजाजत नहीं दी जा सकती है।” अदालत ने कहा कि भारत सरकार ऐसे मामलों में जानकारी देने से इनकार कर सकती है, जो सुरक्षा से जुड़े हों लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि हर वक़्त राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा खड़ा कर दिया जाए।
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