एक ज़माना था जब कहा जाता था कि जिसका कोई नहीं, उसका सहारा है सुप्रीम कोर्ट। जिसे कहीं इंसाफ़ न मिले, उसे सुप्रीम कोर्ट से इंसाफ़ मिलता था। भारत के सुप्रीम कोर्ट की मिसाल दुनिया भर में दी जाती थी। लेकिन पिछले कुछ सालों से सुप्रीम कोर्ट और देश के मुख्य न्यायाधीशों की छवि को तगड़ा धक्का लगा है। यह कहा जाने लगा है कि सुप्रीम कोर्ट अब इंसाफ़ का मंदिर नहीं रह गया है, वह सरकार का दफ़्तर बन गया लगता है।