विशेषज्ञ तो अब तक कोरोना की तीसरी लहर की आशंका जताते ही रहे हैं, लेकिन अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी चिंतित नज़र आ रहे हैं। कोरोना संक्रमण की पहली लहर के दौरान ताली-थाली बजाने, टॉर्च लाइट जलाने जैसे प्रयासों और दूसरी लहर से निपटने में विफलता के लिए आलोचनाओं का सामना कर रहे प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि बाज़ारों और पर्यटन स्थलों पर बिना मास्क लगाई हुई भीड़ की तसवीरें चिंता का कारण हैं। उन्होंने सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन नहीं किए जाने पर भी चिंता जताई। प्रधानमंत्री ने मंगलवार को इस बात पर जोर दिया कि कोरोना की तीसरी लहर से बचने के लिए कोरोना प्रोटोकॉल का पालन ज़रूरी है।
प्रधानमंत्री मोदी आठ पूर्वोत्तर राज्यों के मुख्यमंत्रियों की एक वर्चुअल यानी ऑन लाइन बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कोरोना की तीसरी लहर को रोकने के लिए बुनियादी नियमों- सार्वजनिक जगहों पर मास्क पहनने, बड़ी सभाओं से बचने और टीकाकरण सुनिश्चित करने- का पालन करने के महत्व पर जोर दिया।
प्रधानमंत्री की कोरोना संक्रमण पर मुख्यमंत्रियों के साथ यह बैठक तब हुई है जब अब हर रिपोर्ट कोरोना की तीसरी लहर आने का संकेत दे रही है। डॉक्टरों के शीर्ष संगठन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने सरकार को चेतावनी दी है कि कोरोना की तीसरी लहर अवश्यंभावी है, लिहाज़ा, किसी तरह की ढिलाई न दी जाए और पर्यटन व तीर्थाटन जैसी चीजों पर कुछ समय के लिए रोक लगा दी जाए।
पिछले हफ़्ते ही कोरोना संक्रमण के मामले ज़्यादा आने पर केंद्र ने आठ राज्यों को पत्र लिखकर कोरोना को नियंत्रित करने को कहा है। उस पत्र में उन राज्यों के कई ज़िलों में कोरोना पॉजिटिविटी रेट ज़्यादा होने पर चिंता जताई गई है। जिन 8 राज्यों में 10 फ़ीसदी से ज़्यादा पॉजिटिविटी रेट है उनमें से 6 राज्य उत्तर पूर्व के हैं। इस मामले में जिन राज्यों को स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा पत्र भेजा गया है, वे हैं- अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, केरल, असम, मेघालय, त्रिपुरा, ओडिशा और सिक्किम। उत्तर पूर्वी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ ही प्रधानमंत्री आज संवाद कर रहे थे।
हाल के दिनों में जब कोरोना संक्रमण के मामले कम हुए हैं और राज्यों ने प्रतिबंधों में ढील दी है तो हिल स्टेशन जैसे पर्यटन स्थलों, बाज़ारों में भीड़ बढ़ने की तसवीरें सामने आई हैं। सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों की धज्जियाँ उड़ती दिख रही हैं। इसको देखते हुए स्वास्थ्य से जुड़े विशेषज्ञों ने तो अब कहना शुरू कर दिया है कि तीसरी लहर को अब टाला नहीं जा सकता है।
इसको लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने भी चिंता जताई है। प्रधानमंत्री ने कहा,
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यह सच है कि कोरोना वायरस से पर्यटन और कारोबार पर काफी असर पड़ा है, लेकिन आज मैं बेहद जोर देकर कहूँगा कि हिल स्टेशनों और बाज़ारों में बिना मास्क पहने भारी भीड़ होना ठीक नहीं है।
नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
उन्होंने कहा, 'वायरस अपने आप नहीं आता और चला जाता है... जब हम नियमों की अवहेलना करते हैं तो हम इसे अपने साथ लाते हैं। विशेषज्ञ हमें बार-बार चेतावनी दे रहे हैं कि भीड़भाड़ जैसे लापरवाही वाले व्यवहार से कोरोना के मामलों में वृद्धि होगी।'
मोदी ने कहा, 'कई बार लोग सवाल पूछते हैं कि तीसरी लहर के बारे में क्या तैयारी है? तीसरी लहर पर आप क्या करेंगे? हमारे मन में सवाल यह होना चाहिए कि तीसरी लहर को आने से कैसे रोका जाए।'
वैसे, प्रधानमंत्री मोदी का भाषण उन नेताओं के लिए भी संकेत होना चाहिए जो अभी भी कांवड़ यात्रा और चारधाम यात्रा को लेकर अड़े हुए हैं। इन मामलों में हाई कोर्ट ने भी पहले ही आगाह कर दिया है।
इस मामले में डॉक्टरों के शीर्ष संगठन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन यानी आईएमए ने कहा है कि 'पर्यटन, तीर्थाटन और धार्मिक उत्साह, सबकुछ ठीक है, पर इन्हें कुछ समय के लिए टाला जा सकता है। धार्मिक अनुष्ठानों और उनमें बड़ी तादाद में लोगों के बेरोकटोक जाने की अनुमति देने से ये कार्यक्रम सुपर स्प्रेडर यानी कोरोना फैलाने के बड़े कारण बन सकते हैं।'
आईएमए ने कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि स्वास्थ्य सेवा से जुड़े लोगों और राजनीतिक नेतृत्व के तमाम प्रयासों की बदौलत ही देश कोरोना महामारी की घातक दूसरी लहर से उबर पाया है, ऐसे में हमें 'लापरवाह' नहीं होना चाहिए।
इस संस्था ने यह भी कहा, 'उपलब्ध वैश्विक साक्ष्यों और किसी भी महामारी के इतिहास को देखते हुए कहा जा सकता है कि तीसरी लहर अपरिहार्य और क़रीब है। लेकिन यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश में ज़्यादतर हिस्सों में सरकार और लोग, आत्मसंतुष्ट हो गए हैं।'
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