पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के ख़िलाफ़ मोर्चा खोले बैठे कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने नई गुगली फेंक दी है। सिद्धू ने मंगलवार को ट्वीट कर कहा है कि आम आदमी पार्टी ने हमेशा पंजाब के लिए उनके विजन और काम को पहचाना है।
याद दिलाना होगा कि पंजाब में 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले जब सिद्धू ने बीजेपी से इस्तीफ़ा दिया था तो उनके आम आदमी पार्टी में शामिल होने की अटकलें तेज़ हो गई थीं। यह भी कहा गया था कि उनकी विधायक पत्नी नवजोत कौर सिद्धू भी आम आदमी पार्टी में शामिल होंगी। उस वक्त पार्टी के बड़े नेता संजय सिंह ने सिद्धू के बीजेपी छोड़ने के फ़ैसले का स्वागत किया था।
बहरहाल, सिद्धू ने अपने ट्वीट में कहा है कि 2017 के चुनाव से पहले चाहे वह बेअदबी का मुद्दा रहा हो या फिर ड्रग्स का, किसानों का, भ्रष्टाचार का, बिजली संकट का और आज भी उनके द्वारा उठाए जा रहे मुद्दे हों या लोगों के सामने रखा गया पंजाब मॉडल हो, आम आदमी पार्टी जानती है कि पंजाब के लिए कौन लड़ रहा है।
सिद्धू ने आगे कहा है कि विपक्ष उनसे सवाल पूछने की हिम्मत रखता है लेकिन वह उनके पंजाब एजेंडे से पीछे नहीं हट सकता, इसका मतलब विपक्ष ने न चाहते हुए भी उनकी बातों को स्वीकार कर लिया है।
सिद्धू ने यह बात आम आदमी पार्टी के पंजाब प्रधान भगवंत मान की उस चुनौती के जवाब में कही जिसमें मान ने कहा था कि वे लार्सन एंड टर्बो और वेदांता कंपनी के बारे में एक ट्वीट कर दें। मान का कहना था कि थर्मल प्लांट की तीन प्राइवेट कंपनियों ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को पैसा दिया है।
आम आदमी पार्टी की पंजाब इकाई की ओर से किए गए ट्वीट में कहा गया है कि लार्सन एंड टर्बो से कांग्रेस ने एक करोड़, 2.25 करोड़ और 5 करोड़ रुपये फंड लिया। इसके अलावा वेदांता से कांग्रेस ने 5 करोड़ और 2 करोड़ रुपये फंड के तौर पर लिए और जीवीके कंपनी से 10 लाख रुपये लिए गए।
मान ने कहा है कि यही वजह है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार अपने साढ़े चार के कार्यकाल में बिजली ख़रीदने के समझौते को रद्द नहीं कर सकी।
सिद्धू ने एक और ट्वीट कर कहा है कि विपक्ष उनके और कुछ पक्के कांग्रेसियों के बारे में यह गीत गा रहा है कि तुम अगर आप (AAP) में आओगे तो कोई बात नहीं... तुम अगर कांग्रेस में रहोगे तो मुश्किल होगी।
हरीश रावत ने कहा है कि पार्टी 2-3 दिन के अंदर सुनील जाखड़ की जगह किसी दूसरे नेता को प्रदेश अध्यक्ष के पद पर नियुक्त करेगी और उसके बाद अमरिंदर कैबिनेट में भी कुछ नए चेहरों को शामिल किया जाएगा तो माना जा रहा है कि पंजाब कांग्रेस में चल रहा झगड़ा ख़त्म होगा।
पंजाब के झगड़े को ख़त्म करने के लिए आलाकमान ने जो तीन सदस्यों का पैनल बनाया था, उसने अपनी सिफ़ारिश में कहा था कि नवजोत सिंह सिद्धू को कोई अहम पद दिया जाना चाहिए और माना जा रहा है कि पार्टी सिद्धू को कोई बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है। लेकिन सिद्धू के इस ताज़ा ट्वीट से नई बहस छिड़ गई है।
रावत ने मनाया था सिद्धू को
सिद्धू ने लोकसभा चुनाव 2019 के बाद पंजाब कैबिनेट से इस्तीफ़ा दे दिया था और उसके बाद लंबे वक़्त तक वह ख़ामोश रहे थे। लेकिन किसान आंदोलन के बाद उन्होंने सक्रियता बढ़ाई और हरीश रावत ने पंजाब का प्रभारी बनने के बाद सिद्धू को मनाने में पूरा जोर लगा दिया। अंतत: रावत सिद्धू को कांग्रेस छोड़कर जाने से रोकने में सफल रहे।
सीएम बनना चाहते हैं सिद्धू
सियासत में महत्वाकांक्षी होना ग़लत नहीं है और इस वजह से सिद्धू भी ग़लत नहीं हैं। सिद्धू की इच्छा पंजाब का मुख्यमंत्री बनने की है। उनके पक्ष में पॉजिटिव बात यह है कि उनका हिंदू और सिख, दोनों समुदायों के मतदाताओं में आधार है। वह बहुत अच्छी हिंदी बोलते हैं, मशहूर क्रिकेटर रहे हैं और इस वजह से देश भर में जाने जाते हैं। विदेशों में भी उनकी लोकप्रियता रही है।
लेकिन आम आदमी पार्टी के लिए भी उन्हें मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाना आसान नहीं होगा क्योंकि वहां पिछले सात सालों से पार्टी के पंजाब प्रधान भगवंत मान भी मुख्यमंत्री बनने का सपना पाले हुए हैं। ख़ैर, सियासत में किस पल क्या हो जाए, कोई नहीं जानता।
अपनी पहली ही कोशिश में पंजाब में मुख्य विपक्षी दल बनने वाली आम आदमी पार्टी ने इस बार सरकार बनाने के लिए पूरा जोर लगा दिया है। केजरीवाल लगातार पंजाब का दौरा कर रहे हैं और उन्होंने अपने सियासी कमांडरों और सिपाहियों को भी वहां की जंग में झोंक दिया है।
पंजाब की राजनीति में ताज़ा सूरत-ए-हाल यही है कि कांग्रेस सिद्धू बनाम अमरिंदर सिंह की लड़ाई में पिस चुकी है, कल क्या होगा कोई नहीं जानता लेकिन हालात यही रहे तो कांग्रेस के लिए चुनाव नतीजे बेहद ख़राब होंगे।
आम आदमी पार्टी के हौसले इसलिए भी बुलंद हैं क्योंकि कुछ चुनावी सर्वे में उसे पंजाब में सबसे ज़्यादा सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है। साथ ही, पार्टी ने इस बार पहले ही सिख समुदाय से मुख्यमंत्री होगा और मुफ़्त बिजली वाला दांव चलकर सही राजनीतिक चाल चल दी है। देखना होगा कि सिख और हिंदू समुदाय उस पर कितना भरोसा कर पाता है और किसान उसे कितनी वरीयता देते हैं।
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