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लद्दाख में भारत-चीन सीमा पर बीते साल तनातनी और हाथापाई में दोनों तरफ के सैनिकों के मारे जाने के बाद हालांकि दोनों पक्षों ने अपने-अपने सैनिकों को वापस बुला लिया है, पर सीमा अभी भी सामान्य नहीं हुई है। चीन की निगाहें लद्दाख पर टिकी हुई हैं और उसकी मंशा सीमा पर बड़े सैन्य जमावड़े और सैन्य संघर्ष की है।
इसे इससे समझा जा सकता है कि चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अपने इलाके में सैनिकों के रहने के लिए अस्थायी घर बनाए हैं। ये घर कंटेनरों में बनाए गए हैं, जिन्हें आसानी से और बहुत ही कम समय में जोड़ कर तैयार किया गया है। लेकिन आपातकालीन स्थिति में इन्हें सामान्य सैनिक क्वार्टर की तरह काम में लाया जा सकता है।
चीनी सेना पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी के उस पार कराकोरम दर्रा में वहाब ज़िल्गा से लेकर उत्तर में हॉट स्प्रिंग्स, पिऊ, चांग ला, ताशीगांग, मान्ज़ा और चुरुप तक ये कंटेनर लगा रखे हैं।
इन कंटेनरों में बने क्वार्टरों से यह साफ है कि चीन की मंशा भारत-चीन सीमा को खाली करने और तनाव ख़त्म करने की नहीं है। वह वहाँ अपने सैनिकों को स्थायी तौर पर या कम से कम लंबे समय तक टिकाए रखना चाहती है। इससे यह भी साफ है कि चीन का इरादा एलएसी पर लंबी मौजूदगी या लड़ाई का है।
भारतीय सेना के पास ऊँचे और बर्फीले पहाड़ पर टिके रहने का बहुत ही लंबा अनुभव है, चीनी सेना के पास यह अनुभव नहीं है, लिहाज़ा, वह इन उपायों से अपने आपको उस स्थिति के अनुरूप ढालने की कोशिश कर रही है।
पीएलए की यह तैयारी इस स्थिति के मद्देनज़र है कि लद्दाख में एलएसी के दोनों तरफ लगभग पचास-पचास हज़ार सैनिक जमे हुए हैं। इसके अलावा एलएसी से थोड़ी ही दूरी पर टैंक, हॉवित्ज़र गन, मिसाइल, वायु रक्षा प्रणाली, लड़ाकू जहाज़ वगैरह लगा कर रखे गए हैं। यह इंतजाम भारत और चीन दोनों ही देशों ने कर रखा है।
लद्दाख से अरुणाचल तक 3,488 किलोमीटर तक फैली हुई वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास चीन ने कई हवाई अड्डे और वायु पट्टियाँ बना रखी है, सड़कें बना ली हैं। दोनों ही तरफ से लगभग बराबर की तैयारी है।
'टाइम्स ऑफ़ इंडिया' के अनुसार, पीएलए ने शिनजियांग के कासगर, होतान, गरगुन्सा, ल्हासा-गोंगर और शिगात्से में हवाई पट्टियाँ बना ली हैं।
चीन ने रूस में बने एअर डिफेन्स सिस्टम एसएस-400 भी लगा रखी है। भारत को यह प्रणाली जल्द ही मिलने वाली है।
'साउथ चाइन मॉर्निंग पोस्ट' के अनुसार पीएलए के वेस्टर्न थिएटर कमान्ड ने रात में ड्रिल की है, जिससे यह वह रात में भी सेना को आगे बढ़ाने या युद्ध करने की स्थिति में हो।
चीनी सेना के अख़बार 'पीएलए डेली' ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा है कि पाँच हज़ार मीटर यानी लगभग 16,400 फीट की ऊँचाई पर ये नाइट ड्रिल किए गए हैं।
इसने यांग यांग नामक कंपनी कमांडर के हवाले से कहा है कि पीएलए ने वहां तैनात अपने सैनिकों से कहा है कि वे अधिक ऊँचाई पर टिके रहने लायक खुद को बनाएं, वैसा खुद को ढालें, फिट रहें और रात में युद्ध करने का अभ्यास डालें।
बता दें कि भारत औन चीन के बीच 1914 में खींची गई सीमा रेखा मैकमहॉन लाइन को चीन ने कभी स्वीकार नहीं किया है। भारत-चीन के बीच सीमा पर लंबे समय से बात चल रही है और कई दौर की बातचीत के बावजूद कोई खास प्रगति नहीं है।
स्पष्ट सीमा रेखा नहीं होने की वजह से दोनों ही देशों के अपने-अपने दावे हैं, अपने इलाक़े की अपनी अवधारणाएं हैं, जो एक दूसरे से मेल नहीं खाती हैं।
बीते साल पीएलए के सैनिक भारतीय इलाक़े में घुस आए, स्थायी कैंप बना लिए, हथियार वगैरह जमा कर लिए और वापस लौटने से इनकार कर दिया। इसके बाद भारत ने भी अपनी सेना को वहां भेज दिया।
मई महीने में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हाथापाई और मारपीट हुई। गोली नहीं चलने के बावजूद दोनों ही पक्षों के सैनिक मारे गए।
बाद में दोनों सेनाओं के बीच बातचीत हुई और उन्होंने अपने-अपने सैनिकों को वापस बुला लिया। लेकिन चीनी सेना ने एलएसी के अपने इलाके से सैनिकों को वापस नहीं बुलाया और अब वह वहां स्थायी निर्माण कार्य कर रही है। अब तो सैनिकों के रहने के लिए घर तक का इंतजाम कर लिया है।
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