क्या जाति जनगणना का मुद्दा अब विपक्षी दलों को क़रीब लाने की भूमिका निभाएगा? और क्या बीजेपी फिर से इस मुद्दे पर विचार करने को मजबूर होगी? ये सवाल इसलिए कि जाति जनगणना पर बीजेपी का रुख साफ़ होते ही अब विपक्षी दलों में हलचल तेज़ हो गई है। तेजस्वी यादव ने कई दलों के 33 नेताओं को चिट्ठी लिखी है। ये नेता या तो जाति जनगणना के पक्ष में रहे हैं या फिर उन्होंने कभी इसका विरोध भी नहीं किया है। इनमें से अधिकतर मोदी सरकार की नीतियों के विरोधी रहे हैं। हालाँकि इनमें से कुछ तो बीजेपी के सहयोगी भी हैं। खुद बीजेपी के सहयोगी दल जेडीयू के मुखिया नीतीश कुमार ने भी कहा है कि केंद्र सरकार को इस पर दुबारा सोचना चाहिए। वह और अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल पहले भी खुलकर जाति जनगणना की पैरवी कर चुके हैं।
जाति जनगणना पर तेजस्वी के ख़त से विपक्षी एकजुटता की कोशिश?
- राजनीति
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- 27 Sep, 2021
तेजस्वी यादव द्वारा जाति जनगणना के मुद्दे पर विभिन्न दलों के 33 नेताओं को चिट्ठी लिखे जाने के क्या मायने हैं? आख़िर उनसे इस मुद्दे पर आगे की रणनीति के लिए सुझाव क्यों मांगे गए हैं? क्या इसी बहाने विपक्षी एकजुटता की कोशिश है?

जाति जनगणना का यह मुद्दा फिर से तब केंद्र में आ गया है जब केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा देकर कहा कि जाति जनगणना नहीं हो सकती है क्योंकि यह व्यावहारिक नहीं है। सरकार ने कहा है कि जनगणना के दायरे से एससी-एसटी के अलावा किसी भी अन्य जाति की जानकारी जारी नहीं करना एक समझदारी वाला नीतिगत निर्णय है।