क्या जाति जनगणना का मुद्दा अब विपक्षी दलों को क़रीब लाने की भूमिका निभाएगा? और क्या बीजेपी फिर से इस मुद्दे पर विचार करने को मजबूर होगी? ये सवाल इसलिए कि जाति जनगणना पर बीजेपी का रुख साफ़ होते ही अब विपक्षी दलों में हलचल तेज़ हो गई है। तेजस्वी यादव ने कई दलों के 33 नेताओं को चिट्ठी लिखी है। ये नेता या तो जाति जनगणना के पक्ष में रहे हैं या फिर उन्होंने कभी इसका विरोध भी नहीं किया है। इनमें से अधिकतर मोदी सरकार की नीतियों के विरोधी रहे हैं। हालाँकि इनमें से कुछ तो बीजेपी के सहयोगी भी हैं। खुद बीजेपी के सहयोगी दल जेडीयू के मुखिया नीतीश कुमार ने भी कहा है कि केंद्र सरकार को इस पर दुबारा सोचना चाहिए। वह और अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल पहले भी खुलकर जाति जनगणना की पैरवी कर चुके हैं।