पहले से ही घोर ध्रुवीकरण के माहौल को झेर रहे देश में अब जनसंख्या के एक विश्लेषण को लेकर तथ्यपरक आँकड़े रखने का आगाह किया जा रहा है। जनसंख्या के मुद्दों पर काम करने वाली एक गैर लाभकारी संस्था पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया ने आगाह किया है कि किसी भी समुदाय के खिलाफ भय या भेदभाव को भड़काने के लिए पीएम-ईएसी रिपोर्ट की ग़लत व्याख्या नहीं की जानी चाहिए। तो सवाल है कि आख़िर ऐसी क्या स्थिति आ गई कि आगाह करने की नौबत आ जाए?
हिंदू जनसंख्या घटने और ईसाई, मुस्लिम, सिख के बढ़ने का सच क्या?
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- 29 Mar, 2025
आज़ादी के बाद से 2011 के बीच जनसंख्या पर प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएम-ईएसी) के एक नए विश्लेषण के बाद विवाद क्यों हो रहा है? जानिए, पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया ने आगाह क्यों किया।

दरअसल, जनसंख्या पर पीएम-ईएसी की रिपोर्ट या विश्लेषण के आँकड़े को ही कुछ इस तरह पेश किया जा रहा है जिसे सही नहीं माना जा रहा है। पीएम-ईएसी यानी प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के एक नए विश्लेषण के अनुसार, 1950 से 2015 के बीच 65 साल में भारत में हिंदू आबादी की हिस्सेदारी में 7.82 प्रतिशत की गिरावट आई है, जबकि मुसलमानों, ईसाइयों और सिखों की आबादी में वृद्धि देखी गई है।